सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक ऐसे मामले की सुनवाई हुई है, जिसमें एक व्यक्ति को 26 साल पुराने फर्जीवाड़े के लिए मोटा भुगतान करना पड़ा। दरअसल, मामला 1994 का है। एक व्यक्ति ने गलत तरीक से दूसरे आदमी का 2242.50 रुपए का चेक कैश करा लिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में सख्त चेतावनी के बाद व्यक्ति ने दो दशक तक न्याय प्रक्रिया का फायदा उठाने के लिए पेनाल्टी के तौर पर 5 लाख रुपए और शिकायतकर्ता को 50 लाख रुपए भुगतान करने की बात कही है। बदले में कोर्ट ने भी उस पर से आपराधिक मुकदमा हटाने का आश्वासन दिया।

जिस व्यक्ति ने जुर्माना चुकाने की बात कही है, उसका नाम महेंद्र कुमार शारदा बताया गया है। वह 1992 तक शिकायतकर्ता ओम माहेश्वरी के साथ मैनेजर के तौर पर काम कर रहा था। माहेश्वरी ने 1997 में दिल्ली के एक पुलिस स्टेशन में शारदा के खिलाफ केस किया था। इसमें कहा गया था कि एक 2242.50 रुपए का चेक किसी तरह शारदा के पास पहुंच गया और उसने फर्जी तरह से माहेश्वरी के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाया और चेक को कैश करा लिया।

शारदा ने पहले अपने ऊपर लगे धोखाधड़ी के आरोपों के खिलाफ केस लड़ा, लेकिन बाद में समझौता करने की कोशिश की। हालांकि, इसी साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ आपराधिक आरोप रद्द करने से इनकार कर दिए थे। कोर्ट का कहना था कि शारदा के खिलाफ आरोप गंभीर हैं।

इसके बाद आरोपी महेंद्र कुमार शारदा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां उसने सफाई में कहा कि मामले को शिकायतकर्ता के साथ सुलझाया जा चुका है और इसके लिए उसे 50 लाख का भुगतान किया जाएगा। इस पर जस्टिस एसके कौल की बेंच ने पूछा कि आखिर समझौते में दशकों का समय क्यों लग गया? वह भी कानूनी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने के दौरान।

इसी पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शारदा के खिलाफ आपराधिक मामला हटाने के लिए उसे न्यायिक प्रक्रिया और उसका समय बर्बाद करने के लिए जुर्माना भरना होगा। आरोपी ने इस मामले में 5 लाख रुपए भरने की बात कही, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से एफआईआर रद्द करने पर प्रतिक्रिया मांगी है। अब 15 सितंबर को कोर्ट दिल्ली पुलिस की बात सुनकर शारदा की मांग पर फैसला सुनाएगा।