दिल्ली में दीपावली से पहले ‘हरित पटाखे’ बेचने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से भले ही मिल चुकी हो, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अब तक व्यापारियों को पटाखे बेचने के लिए जरूरी लाइसेंस नहीं मिला है। इसी वजह से व्यापारी ‘हरित पटाखों’ का आर्डर ही नहीं दे पा रहे हैं। दिल्ली के सदर बाजार और जामा मस्जिद के पाईंवालाना क्षेत्र, जो पटाखा कारोबार के बड़े केंद्र माने जाते हैं, वहां के व्यापारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद दिल्ली पुलिस की कार्रवाई और निगरानी बढ़ गई है, जबकि लाइसेंस प्रक्रिया अब भी अधूरी है।

सदर बाजार क्रेकर एसोसिएशन के महासचिव हरजीत सिंह छाबड़ा ने बताया कि हरित पटाखे तमिलनाडु के शिवगंगा में बनाए जाते हैं और उनका आर्डर कम से कम एक महीने पहले देना होता है। लेकिन जब तक लाइसेंस की स्थिति स्पष्ट नहीं होती, कोई भी व्यापारी जोखिम नहीं लेना चाहता।
दिल्ली सरकार को चाहिए था कि समय रहते हरित पटाखे बेचने व जलाने की अनुमति कोर्ट से दिलवाती ताकि समय पर थोक बाजारों में पटाखे उपलब्ध हो पाते।

एक दिन में लाइसेंस मिले, तभी बात बने

उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस लगातार गोदामों और दुकानों पर छापेमारी कर रही है, जिससे व्यापारी डरे हुए हैं। हालांकि, व्यापारियों ने यह निर्णय लिया है कि वे सिर्फ हरित पटाखे ही बेचेंगे, लेकिन सप्लाई दिल्ली में पहुंच ही नहीं पा रही है क्योंकि शिवगंगा से आ रहे पटाखों को बीच में ही रोक दिया जा रहा है।

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चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष बृजेश गोयल का कहना है कि दिल्ली पुलिस और अग्निशमन विभाग से लाइसेंस लेने की प्रक्रिया लंबी और जटिल है। अगर प्रशासन चाहे, तो एक दिन में लाइसेंस प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। ऐसा हुआ तो 18 अक्तूबर तक बाजारों में हरित पटाखे पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में दिल्ली में पटाखा उद्योग लगभग पूरी तरह बंद रहा है। साथ ही 400 किलोमीटर दूर से हरित पटाखे मंगवाना और मांग के अनुसार आपूर्ति करना भी बड़ी चुनौती है।

क्यूआर कोड वाले पटाखे ही मान्य : सिरसा

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि केवल ‘नीरी’ प्रमाणित हरित पटाखे ही बेचे व जलाए जा सकेंगे। पटाखों की बिक्री 18-19 अक्तूबर को सुबह 6-7 और रात 8-10 के बीच लाइसेंस प्राप्त स्थलों पर ही हो सकेगी। साथ ही केवल क्यूआर कोड वाले हरित पटाखे ही मान्य होंगे, अवैध पटाखों को जब्त किया जाएगा व उल्लंघनकर्ताओं पर कार्रवाई होगी। प्रवर्तन दिल्ली पुलिस, राजस्व विभाग व डीपीसीसी द्वारा पर्यावरण विभाग की निगरानी इस पर रहेगी।