प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू इन दिनों पटियाला की केंद्रीय जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (19 मई 2022) को 1988 के रोड रेज मामले में सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। जेल में तबीयत खराब होने पर सिद्धू को मेडिकल जांच के लिए राजेंद्र अस्पताल लेकर जाया गया था जहां डॉक्टर्स ने उन्हें लो फैट और हाई फ़ाइबर फूड खाने की सलाह दी है।
दरअसल, जांच में डाक्टरों ने पाया है कि नवजोत सिंह सिद्धू के लिवर में इन्फेक्शन है और उन्हें फैटी लिवर की समस्या है। सोमवार को राजेंद्र अस्पताल में जांच के दौरान फैटी लिवर का पता चलने के बाद सिद्धू को वजन कम करने के लिए कहा गया है। सिद्धू ने जेल में स्पेशल फूड के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से अनुरोध किया था। जिसके बाद अदालत के आदेश पर उन्हें अस्पताल लाया गया था। मेडिकल जांच के बाद सिद्धू को कड़ी सुरक्षा के बीच वापस पटियाला जेल भेज दिया गया।
सिद्धू के लिए डाइट प्लान: जेल प्रशासन ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया है जो सिद्धू के लिए डाइट प्लान तैयार करेगा। राजेंद्र अस्पताल के वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ रमनजीत कौर ने कहा, “बोर्ड ने सिद्धू के लिए सूप, ककड़ी, चुकंदर और जूस के साथ लो फैट और हाई फ़ाइबर फूड की सिफारिश की है। बोर्ड की सलाह पर उनके डाइट चार्ट से कार्बोहाइड्रेट को हटा दिया गया है।” उन्हें गेहूं के विकल्प के रूप में बाजरे की रोटी खाने को कहा गया है।
गेहूं से एलर्जी: इसके अलावा सिद्धू ने दावा किया है कि उन्हें गेहूं से एलर्जी है। सिद्धू को गेहूं से एलर्जी पर डॉक्टरों ने कहा कि फिट और हेल्दी रहने के लिए गेहूं नहीं खाना उनकी मर्जी थी। अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा, “गेहूं से एलर्जी होने के उनके दावे का कोई चिकित्सीय आधार नहीं है। हालांकि, वजन घटाने के लिए गेहूं से परहेज करना ही बेहतर है।”
क्या है मामला: नवजोत सिंह सिद्धू को 1988 के रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है। सिद्धू ने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक शख्स को मारा था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। हालांकि, रिपोर्ट में सामने आया था कि शख्स की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। इस मामले में सिद्धू को निचली अदालत ने बरी कर दिया था। लेकिन हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी। सिद्धू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी गई थी। 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर इस मामले में एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। लेकिन पीड़ितों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई है।