फतेहपुर को पोंग बांध आर्द्रभूमि को लेकर जाना जाता है, जहां साइबेरिया और उत्तरी चीन से प्रवासी पक्षी आते हैं। भाजपा द्वारा नूरपुर से अपने विधायक राकेश पठानिया को फतेहपुर से उम्मीदवार बनाए जाने के कारण यह सीट (फतेहपुर) सुर्खियों में है।

पठानिया कम से कम 15 पंचायत क्षेत्रों में अपना अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं, जो 2012 के चुनावों से पूर्व किए गए परिसीमन से पहले नूरपुर सीट का हिस्सा थे। राज्यसभा के पूर्व सदस्य कृपाल परमार इस सीट से टिकट के लिए दौड़ में सबसे आगे थे, लेकिन बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने पर उन्हें चार अन्य बागियों के साथ भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।

भाजपा 2003 से इस सीट से हारती आ रही है, सिवाय 2007 के, जब राजन सुशांत ने पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, दो साल बाद, 2009 के आम चुनाव में कांगड़ा सीट से सुशांत के निर्वाचित हो जाने के बाद कराए गए उपचुनाव में भाजपा को कांग्रेस के हाथों यह सीट गंवानी पड़ गई थी। पठानिया और परमार के बीच पोस्टर जंग होने को लेकर भी यह सीट चर्चा का केंद्र बनी हुई है।

कांग्रेस द्वारा हाल में ट्विटर पर एक वीडियो क्लिप जारी किए जाने के बाद एक विवाद पैदा हो गया। पार्टी ने दावा किया है कि परमार के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवाज सुनी जा सकती है, जिसमें मोदी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर चुनाव नहीं लड़ने के लिए भाजपा नेता पर दबाव बना रहे हैं और भावनात्मक रूप से दबाव डाल रहे हैं।

परमार के करीबी सहयोगी ने बताया कि यह वीडियो क्लिप 30 अक्तूबर का है। परमार ने कहा, ‘2017 का चुनाव मात्र 1,284 मतों के अंतर से हारने के बावजूद मुझे प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने दरकिनार कर दिया। मैं उम्मीद कर रहा था कि 2021 के उपचुनाव में मुझे टिकट दिया जाएगा, लेकिन पार्टी ने फिर से मुझे नजरअंदाज कर दिया और बलदेव ठाकुर को टिकट दिया।’

उन्होंने कहा कि इस बार भी टिकट नहीं दिए जाने के कारण वे चुनाव नहीं लड़ने की सोच रहे थे, लेकिन पठानिया के अमर्यादित तौर-तरीकों को लेकर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया। इस बीच, पठानिया ने पार्टी की प्रदेश इकाई में अंदरूनी कलह के सभी दावों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस सीट पर सभी की सहमति वाला उम्मीदवार उतारा है। बलदेव ठाकुर जैसे स्थानीय नेताओं को रेहान इलाके में एक रोड शो के दौरान उनके लिए वोट मांगते देखा गया। (ए.)