फैशन डिजाइनर शिप्रा के अपहरण मामले में नोएडा पुलिस की बड़ी नाकामी सामने आई है। इस मामले में नोएडा पुलिस की लापरवाही की जांच गाजियाबाद के एसपी अपराध को डीआइजी लक्ष्मी सिंह ने सौंपी है। आरोप है कि अपहरण की शिकायत और उसी दिन लावारिस हालत में गाड़ी के मिलने के बावजूद नोएडा पुलिस ने इसे दिल्ली का मामले बताते हुए तुरंत कार्रवाई नहीं की। यही नहीं शुरुआत में मामले को गुमशुदगी में दर्ज करने की वजह से पुलिस ने उतनी तेजी नहीं दिखाई, जितनी अपहरण जैसे मामलों में दिखाई देनी चाहिए थी। सीएम और डीजीपी की निगाहों में मामला होने के कारण गुरुवार को मेरठ रेंज की डीआइजी लक्ष्मी सिंह ने नोएडा पुलिस अफसरों के साथ लंबी बैठक की। उन्होंने मामले की प्रगति पर हर चार घंटे बाद अपडेट करने के निर्देश दिए हैं।
उधर, जिस दिन शिप्रा का अपहरण हुआ था, उसी दिन दोपहर 1.30 बजे शिप्रा ने सेक्टर- 18 के बैंक में अपने लॉकर को खोला था। नोएडा पुलिस को बैंक के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में इसकी जानकारी मिली है। शिप्रा के दोस्त और परिजन उसकी तलाश के लिए सोशल साइट्स और वाहट्सऐप का भी सहारा ले रहे हैं। शिप्रा अपहरण मामले में नोएडा पुलिस रंजिश, लेन-देन विवाद, झगड़े आदि की आशंका से इनकार कर रही है।
शिप्रा के पति चेतन, भाई शिवांग, देवर मोहित, पिता सतीश कटियार समेत एक दर्जन लोगों से पूछताछ की है। परिवार के कुछ लोगों के बयानों में अंतर्विरोध जरूरी मिला है लेकिन उसके आधार पर पुलिस को कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है। अपहरण के 72 घंटे बीतने के बाद भी अभी तक फिरौती को लेकर कोई कॉल नहीं आई है। बता दें कि पिछले सोमवार को सेक्टर- 37 में रहने वाली फैशन डिजाइनर शिप्रा का रहस्यमय हालात में अपहरण हो गया था। घर के पास उसकी कार लावारिस हालत में मिली थी।

