प्याज की खेती के कारण बड़ा नुकसान झेल रहे किसानों ने आज यहां जिलाधिकारी कार्यालय के सामने सड़क पर सैकड़ों किलोग्राम प्याज फेंककर विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही, सरकार से प्याज का उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करके प्याज की खरीद शुरू करने की मांग की। इंदौर के आस-पास के गांवों के करीब 100 किसान अपनी मोटसाइकिलों पर प्याज की बोरियां बांधकर मोती तबेला क्षेत्र स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इस कार्यालय के सामने मुख्य सड़क पर सैकड़ों किलोग्राम प्याज फेंक दिया। कुछ राहगीरों ने सड़क पर फैला प्याज बटोरना शुरू कर दिया। लेकिन अधिकांश प्याज वाहनों के पहियों के नीचे दबकर बर्बाद हो गया।
प्रदर्शनकारी किसानों में शामिल मक्खन पटेल ने संवाददाताओं से कहा, ‘प्याज की बम्पर फसल के कारण थोक बाजार में इसके भाव इस कदर गिर गए हैं कि हमें खेती का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। इस बार की प्याज किसानों को रुला रही है।’ इंदौर से सटे गांव बिजलपुर के रहने वाले प्याज उत्पादक किसान ने कहा, ‘सरकार को प्याज का उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय कर इस सब्जी की खरीद शुरू करनी चाहिए, ताकि थोक बाजार की गिरावट से किसानों को घाटा की भरपाई की जा सके।’
पटेल ने नाराजगी भरे लहजे में कहा, ‘पिछले साल जब खुदरा बाजार में प्याज के दाम ज्यादा थे, तो प्रशासन ने गोदामों पर छापे मारकर किसानों का प्याज जब्त कर लिया था। लेकिन आज जब थोक बाजार में प्याज के दाम गिरने के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, तो हमारी सुध नहीं ली जा रही है।’ प्रदर्शनकारी किसानों ने जिला प्रशासन के एक अधिकारी को प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन भी सौंपा। इस ज्ञापन में सरकार से मांग की गई है कि प्याज उत्पादकों को घाटे से बचाने के लिए जल्द कदम उठाए। फिलहाल इंदौर के थोक बाजार में प्याज पांच से सात रुपए के प्रति किलोग्राम मूल्य पर बिक रहा है, जबकि खुदरा बाजार में इसकी कीमत 10 से 20 रुपए के बीच है।