दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे एक किसान की कथित तौर पर ठंड से मौत हो गई। पिछले 22 दिनों से किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। 37 साल के शख्स का शव वहीं पाया गया जहां किसानों ने अपना डेरा डाल रखा है। बताया जा रहा है कि वह तीन बच्चों के पिता थे। हाड़ कंपा देने वाली ठंड ने किसान की जान ले ली।
इससे पहले सिख संत ने दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। उन्होंने सूइसाइड नोट में लिखा था कि मोदी सरकार किसानों पर जुल्म कर रही है। वह हरियाणा के एक गुरुद्वारे के संत थे। अब तक इस आंदोलन के दौरान 20 किसानों की मौत हो चुकी है। लोगों का कहना है कि ठंड की वजह से कई किसानों को जान से हाथ धोना पड़ा।
बहुत सारे लोग किसानों की मदद करने के लिए कंबल बांट रहे हैं। सिंधु बॉर्डर पर एक किसान ने कहा, ‘हम ठंड से लड़ रहे हैं और ऐसे ही लड़ते रहेंगे जब तक की हमारी मांगें नहीं मानी जाती।’ पिछले कुछ दिनों में दिल्ली और आसपास के इलाकों में तापमान 5 डिग्री तक गिर गया है। दिन का तापमान भी सामान्य से चार डिग्री तक कम हो जाता है।
किसान आंदोलन को लेकर कल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी और केंद्र सरकार से कमिटी बनाने को कहा था जिसमें सरकार के प्रतिनिधि और किसान नेता शामिल हों। आज फिर अदालत में सुनवाई होनी थी जो कि टल गई है। किसी किसान नेता के न उपस्थित होने की वजह से सुनवाई टल गई। कोर्ट ने कहा है कि किसानों का पक्ष सुनने के बाद ही फैसला सुनाया जाएगा। उधर दिल्ली विधानसभा में किसानों को लेकर विशेष सत्र बुलाया गया। मंत्री कैलाश गहलोत ने कृषि कानूनों को निरस्त करने को लेकर संकल्प पत्र प्रस्तुत किया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि किसानों के आंदोलन के अधिकार में दखलअंदाजी नहीं की जा सकती। चीफ जस्टिस ने कहा था कि किसानों के आंदोलन को भी नहीं बाधित करना चाहिए और ऐसा कोई रास्ता निकालना चाहिए जिससे आम लोगों के अधिकार भी न बाधित हों। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या बातचीत के दौरान सरकार इन कानूनों को होल्ड कर सकती है? इसपर वकील ने कहा कि सरकार से इसपर निर्देश लेने होंगे।