Haryana Farmers Protest: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 6 जून को कुरुक्षेत्र के शाहबाद में प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर आपत्ति जताई। हुड्डा ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार को प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने के बजाय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों की फसल खरीदनी चाहिए।
प्रदर्शनकारी किसानों ने एमएसपी पर सूरजमुखी की फसल की खरीद की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। किसानों ने छह जून को दिल्ली-अंबाला राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) को सात घंटे के लिए जाम कर दिया था। राजमार्ग को खाली कराने के लिए पुलिस ने बाद में प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए लाठीचार्ज किया था।
किसानों पर किया जा रहा अत्याचार: हुड्डा
चंडीगढ़ में अपने सरकारी आवास पर शुक्रवार को मीडिया को संबोधित करते हुए हुड्डा ने कहा, ‘किसानों को उनकी फसल का उचित दाम देना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन मौजूदा सरकार में एमएसपी (MSP) की मांग कर रहे किसानों पर लगातार अत्याचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शाहाबाद में सूरजमुखी के किसानों पर सरकार द्वारा की गई बर्बरता दुर्भाग्यपूर्ण है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘जो सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करती थी, उसने कृषि में किसानों की लागत कई गुना बढ़ा दी। इतना ही नहीं, कांग्रेस के कार्यकाल में हर फसल के एमएसपी में बढ़ोतरी को कम कर दिया गया। हुड्डा ने राज्य में बीजेपी-आईएनएलडी से लेकर कांग्रेस और बीजेपी-जेजेपी तक की अलग-अलग सरकारों के दौरान बढ़ाई गई एमएसपी का ब्योरा भी साझा किया।
कांग्रेस नेता ने MSP को लेकर गिनाया आंकड़ा
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘1999 से 2004 तक भाजपा-इनेलो गठबंधन सरकार के दौरान धान की दर में केवल 14% की वृद्धि हुई थी, जो सालाना 2.3% की वृद्धि थी। भाजपा और भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के बाद के नौ वर्षों में धान के एमएसपी में केवल 54.1% की वृद्धि हुई, जो कि सालाना 6% है। साल 2005 से 2014 तक कांग्रेस सरकार के दौरान धान के एमएसपी में कुल 143 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो कि सालाना 14.3 प्रतिशत है।’
हुड्डा ने कहा कि भाजपा-जजपा और भाजपा-इनेलो सरकारें किसानों को एमएसपी देने के मामले में कांग्रेस से काफी पीछे हैं। कांग्रेस ने किसानों को फसल का उचित दाम देने के साथ सस्ता ईंधन, कर्जमाफी और सब्सिडी दी, लेकिन भाजपा ने खाद, बीज, दवाई से लेकर ट्रैक्टर के पुर्जे तक हर चीज पर भारी टैक्स लगा दिया। यही कारण है कि आज के किसानों को सड़कों पर संघर्ष करना पड़ रहा है।