हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर फरवरी महीने में शुरू हुआ किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है। इसका शोर काफी कम हो गया है। लेकिन एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे किसानों के गुस्से का सामना बीजेपी हरियाणा और पंजाब में लोकसभा चुनाव के दौरान महसूस कर रही है।
कई गांवों में बीजेपी के नेताओं को एंट्री करने से भी रोका जा रहा है। किसान पंजाब में पार्टी उम्मीदवारों को गांवों में प्रवेश करने से रोक रहे हैं, जहां 1 जून को चुनाव होने हैं, जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा के ग्रामीण हिस्सों में भी इसी तरह की घटनाएं हो रही हैं।
चुनाव आयोग तक पहुंची बात
बीजेपी और किसानों के बीच जारी इस मनमुटाव का मामला अब चुनाव आयोग तक पहुंच गया है। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल के नेतृत्व में एक किसान प्रतिनिधिमंडल ने राजनेताओं और सुरक्षा बलों की कथित मनमानी के बारे में शिकायत दर्ज कराने के लिए CEO के कार्यालय का दौरा किया। जवाब में चुनाव अधिकारी ने किसानों से किसी उम्मीदवार के प्रचार के अधिकार में बाधा न डालने का आग्रह किया और कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां चुनाव आयोग (ईसी) के निर्देशों और दिशानिर्देशों के खिलाफ हैं।
हरियाणा में पिछले हफ्ते गुस्साए किसानों ने भाजपा के सोनीपत उम्मीदवार मोहन लाल बडोली की रैली को रोक दिया था। जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा था। इसके अलावा बीजेपी के एक और उम्मीदवार अशोक तंवर (सिरसा), रणजीत चौटाला (हिसार), अरविंद शर्मा (रोहतक), और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (करनाल) को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा है।
ग्रामीण इलाकों पर बीजेपी की नजर
बीजेपी का अकाली दल के साथ नाता टूटने के बाद अब शहरी वोटों के साथ-साथ ग्रामीण वोट भी पंजाब में कम हो गया है। अब बीजेपी की नज़र है कि पंजाब में जब पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है तो पार्टी शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में नज़र रखे हुए है। 2019 लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी अकाली दल के साथ गठबंधन में थी तब 13 में से दो सीटें और 9.7% वोट शेयर हासिल किया था।