देशभर में इस वक्त कृषि विधेयकों को लेकर हंगामा मचा हुआ है। संसद से लेकर सड़कों तक विपक्षी दलों ने लोकसभा और राज्यसभा में पास हो चुके विधेयकों के विरोध में प्रदर्शन जारी रखे हैं। इनका सबसे बड़ा असर पंजाब और हरियाणा पर पड़ा है। यहां भाजपा की ओर से कृषि विधेयकों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए नेता किसानों के बीच तक पहुंचने के बयान जारी कर रहे हैं, हालांकि, मनसा में इससे पहले ही किसानों ने हर गांव और मंडी इलाकों में भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं की लिस्ट तैयार कर ली है, बताया गया है कि 25 सितंबर को इनके नाम का सार्वजनिक तौर पर ऐलान होगा, ताकि लोग उनका सामान न खरीदें और सामाजिक बहिष्कार में शामिल हो सकें।
यह फैसला फेडरेशन ऑफ आढ़ती एसोसिएशन की मनसा इकाई की ओर से लिया गया है। राज्य एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जतिंदर गर्ग के मुताबिक, रविवार को केंद्र सरकार के तीन विधेयकों के खिलाफ संगरूर में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था और अब लोग खुद ही भाजपा का बायकॉट करने का फैसला कर रहे हैं। गर्ग ने आगे कहा, “हम पहले ही लोगों से अपील कर चुके हैं कि वे भाजपा के लोगों की दुकानों से कुछ न खरीदें और उनका सामाजिक बहिष्कार करें। बरेटा मंडी में 10-15 दुकानें, जबकि बुधलाडा, सार्दुलगढ़, भिखी, मनसा और जोगा के बाजारों में भी कई ऐसी दुकानें हैं, जो भाजपा के कार्यकर्ताओं की हैं।”
मनसा जिले में 25 सितंबर को पंजाब के किसानों के समर्थन में बंद भी बुलाया गया है। इसका फैसला संविधान बचाओ मंच और किसानों-कमीशन एजेंटों के बीच हुई बैठक में हुआ। संविधान बचाओ मंच के गुरलभ सिंह महल ने कहा कि भाजपा नेता अगर पहले किसानों के पास आते, तो चीजें इतनी खराब न होतीं, अकाली दल ने अपने आपको विधेयक के विरोध में खड़ाकर बचा लिया, वरना उसके खिलाफ भी किसान ऐसी ही कार्रवाई करते।
आढ़ती एसोसिएशन के गर्ग ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चाहे APMC के बारे में जो भी दावे करें, यह कानून 1-2 साल में ही गायब हो जाएगा, क्योंकि निजी कंपनियां किसानों को अच्छा पैसा देंगी और बाजार में एकाधिकार जमा लेंगी। इसके बाद सरकारी एजेंसियां किसानों से धीरे-धीरे उपज खरीदना बंद कर देंगी, जिससे APMC एक्ट अपने आप ही खत्म हो जाएगा और फिर निजी कंपनियां किसानों को MSP से भी कम दाम देना शुरू कर देंगे। पंजाब में कपास और मक्के की खेती में यह होने भी लगा है।