साल 2012 में थानगढ़ में हुई पुलिस गोलीबारी के मामले में जांच के लिए एसआईटी गठित करने के गुजरात सरकार के फैसले को खारिज करते हुए घटना में मारे गए तीन दलित युवकों के परिवारों ने रविवार (21 अगस्त) को सीबीआई जांच की मांग की।
सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए परिजनों ने ‘अनुसूचित जाति एकता मंच’ के बैनर तले गांधीनगर में आयोजित एक रैली में भाग लिया। परिजनों ने यह ऐलान भी किया कि गांधीनगर शहर के सत्याग्रह छावनी इलाके में उनका धरना प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता।

गोलीबारी में मारे गए युवक प्रकाश की मां मंजू परमार ने रैली से पहले संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्हें एसआईटी पर कोई भरोसा नहीं है। परमार ने कहा, ‘हमें सरकार की बनाई एसआईटी पर कोई भरोसा नहीं है। हम चाहते हैं कि सीबीआई पूरे मामले की जांच करे और गोलीबारी में शामिल सभी पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज किया जाए। मुझे लगता है कि एसआईटी गठन का फैसला करके सरकार ने केवल ढकोसला किया है।’

22 और 23 सितंबर, 2012 की दरमियानी रात को तीन दलित युवक – पंकज सुमरा, प्रकाश परमार और मेहुल राठौड़ पुलिस की गोली से मारे गए थे। पुलिस ने सुरेंद्रनगर जिले के थानगढ़ कस्बे में दलितों और अन्य पिछड़ा वर्ग के भारवाड़ समुदाय के बीच संघर्ष के दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोली चलाई थी। मेहुल की मां जयश्रीबेन राठौड़ ने कहा कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिलता है तो वह इस लड़ाई को दिल्ली ले जाएंगी।

जयश्रीबेन के पति वालजीभाई राठौड़ थानगढ़ के कुछ अन्य दलितों के साथ पिछले तीन सप्ताह से गांधीनगर में बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठे हैं। जयश्रीबेन के अनुसार सरकार के आश्वासन के बावजूद भूख हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘एसआईटी का गठन पर्याप्त नहीं है। हम चाहते हैं कि मामले की जांच सीबीआई करे। हम सरकार की सहानुभूति नहीं चाहते। अगर हमें न्याय नहीं मिलता है तो सभी दलित दिल्ली की ओर कूच करेंगे। हम मर जाएंगे लेकिन हमारे बेटों को न्याय मिले बिना थानगढ़ नहीं लौटेंगे।’ इससे पहले शनिवार (20 अगस्त) को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का फैसला किया था।