ओमप्रकाश ठाकुर

हिमाचल प्रदेश में नौकरशाही में खलबली मचाकर जयराम ठाकुर सरकार ने चुनावी दंगल में कूदने का जोखिम तो उठा लिया है लेकिन सरकार को इसका चुनावी लाभ मिलेगा, इस पर संशय नजर आ रहा है। जयराम सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव राम सुभग सिंह समेत तीन वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों को दरकिनार कर अपने बैच में भी सबसे कनिष्ठ 1988 बैच के आइएएस अधिकारी आरडी धीमान को मुख्य सचिव की कुर्सी पर बिठा दिया है।

इस मामले में जयराम ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र के नक्शेकदम पर चले हैं। पिछली सरकार में भी वीरभद्र सिंह ने चार वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर वीसी फारका को मुख्य सचिव बनाया था। लेकिन तब मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव से लेकर सलाहकार तक समेत मुख्यमंत्री कार्यालय में तमाम अधिकारी वीरभद्र सिंह के वफादारों में शुमार थे। वे वीरभद्र सिंह की तमाम राजनीतिक रणनीतियों के कर्ताधर्ता होते थे। उनके साथ वीरभद्र सिंह के बाकी वफादार नेताओं की टोलियां अलग से होती थी।

यह सब मिलकर वीरभ्रद सिंह की नैया पार लगाने में सहायक होती थीं। लेकिन छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह भी मिशन रिपीट करने में कामयाब नहीं हो सके थे। जयराम सरकार में न तो नौकरशाहों की कोई टोली जयराम के वफादारों में शुमार है और न ही नेताओं की टोली ही है जो उनके लिए चुनावी दंगल के दौरान राजनीतिक रणनीति बना कर उसे जमीन पर उतार सके। आलम यह है कि पार्टी का एक बडा धड़ा उनसे हिसाब -किताब पूरा करने के मौके की तलाश में हैं।

जबकि कांग्रेस के पास वीरभद्र सिंह के वफादार अधिकारियों का जमावड़ा आज भी है और वह पूरी ताकत के साथ हालीलाज कांग्रेस के लिए समर्पित है। उप चुनावों में इन वफादार अधिकारियों की मंडी संसदीय सीट से प्रतिभा सिंह की जीत में महत्त्वपूर्ण हाथ रहा था। जयराम ठाकुर को पता ही नहीं चला कि हालीलाज कांग्रेस किस राजनीतिक पैंतरें के तहत उन्हें उनके ही गृह जिला में धूल चटा गए हैं।

अब विधानसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं और जयराम ठाकुर के राजनीतिक व रणनीतिक सिपहसलार पार्टी की महिला नेत्रियों को आगे कर चुनावों में जीत हासिल करने के मुद्दे तलाश रही है। महिला मोर्चा ने पहले गुड़िया बलात्कार व हत्या कांड को मुद्दा बनाने की कोशिश की लेकिन उनका यह मुद्दा उठता, उससे पहले ही पिट गया। गुड़िया के अभिभावकों ने उनकी बेटी के मुद्दे पर राजनीति करने का इल्जाम लगा दिया।

कांग्रेस को घेरने का कोई भी मुद्दा फिलहाल कारगर नहीं हो रहा

कांग्रेस के विधायक व हालीलाज के राजकुमार विक्रमादित्य सिंह ने रोहडू विधानसभा हलके से पिछली बार प्रत्याशी रही शशि बाला को लेकर कोई बयान दे दिया। भाजपा ने इस मसले पर राजनीति करने के लिए मंत्री समेत चारों महिला विधायकों के अलावा महिला मोर्चा को विक्रमादित्य के खिलाफ मैदान में उतार दिया। लेकिन यह मुददा भी कारगर नजर नहीं आ रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि जयराम ठाकुर व भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के पास कोई दमदार रणनीतिकार ही नहीं है जो वजनदार मुद्दों को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हो सके।

न तो राजनीतिक स्तर पर और न ही नौकरशाही के स्तर पर कोई कोर ग्रुप हैं जो नापतोल कर चुनावी दौर के दौरान मसले जनता के बीच फेंक सके। फिलहाल अब निगाहें आलाकमान पर ही लगी हैं कि वह किसी खास रणनीति को लेकर सामने आए व मिशन रिपीट का सपना पूरा कर सकें। लेकिन आलाकमान को भी यह जेहन में रखना होगा कि उनका मुकाबला हालीलाज समर्थक पूर्व नौकरशाही व वफादार नेताओं की जुंडली से होना है जबकि जयराम ठाकुर के खेमे में ऐसी कोई टोली ही नहीं है।