Punjab And Haryana High Court: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सभी जिलों के कलेक्टरों और एसएसपी को 4 अप्रैल 2025 को कोर्ट में तलब किया है। साथ ही कोर्ट को हलफनामे के साथ यह भी बताना होगा कि दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे पर 1 के लिए एनएचएआई को अतिक्रमण मुक्त जमीन दिलाने के लिए क्या कदम उठाए हैं। जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कुलदीप तिवारी की बेंच ने यह निर्देश हाईवे प्रोजेक्ट के लिए जमीन सौंपने में लगातार हो रही देरी के जवाब में जारी किए हैं। इतना ही नहीं कोर्ट ने साफ कर दिया कि किसी भी तरह से आदेश पर अमल नहीं करने पर गंभीर परिणाम होंगे।
कोर्ट ने एनएचएआई अधिकारियों की तरफ से की गई शिकायत के बाद यह कदम उठाया है। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील आरएस मदान, मयंक अग्रवाल और महेंद्र जोशी ने राज्य प्रशासन पर काम करने में विफल रहने का आरोप लगाया। वहीं पंजाब सरकार का बचाव सीनियर डिप्टी एजी मनिंदर सिंह ने किया। कोर्ट ने कहा कि पिछले आदेशों के बाद भी जमीन के मालिकों ने समस्या पैदा करना बंद नहीं किया। इसकी वजह से प्रोजेक्ट में देरी हुई।
इसने धुंडा गांव के एक शख्स यादविंदर सिंह से जुड़े एक खास मामले का हवाला दिया। इसने 300 मीटर की जमीन को खाली करने से मना कर दिया था। पंजाब पुलिस ने अदालत को सौंपी गई एक रिपोर्ट में पुष्टि की कि सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 के साथ-साथ नेशनल हाईवे एक्ट 1956 की कई धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी। बाद में उसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इसके बाद विवादित जमीन एनएचएआई को सौंप दी गई।
एयरपोर्ट पर जिंदा कारतूस के साथ पकड़ा गया था शख्स
कोर्ट की सख्त वॉर्निंग
कोर्ट ने मामले पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने साफ कहा कि नौकरशाही की लापरवाही की वजह से राष्ट्रीय महत्व की परियोजना में रुकावट नहीं आने दी जा सकती। बेंच ने कहा, इन प्रोजेक्ट का पूरा होना आर्थिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी है और फालतू की देरी बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। सभी जिम्मेदार अधिकारियों को यह तय करना चाहिए कि जमीन बिना किसी परेशानी के एनएचएआई को दे दी जाए।
कोर्ट ने हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया
बेंच ने पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव, सीएस केपी सिन्हा और एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी विपनेश की तरफ से पेश किए गए हलफनामे को भी रिकॉर्ड पर लिया। कोर्ट ने जिले लेवल के अधिकारियों से और ज्यादा जवाबदेही पर जोर दिया। उन्हें व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश दिया। बेंच ने आदेश दिया कि 4 अप्रैल को सभी जिला कलेक्टर, एसएसपपी और रीजनल डायरेक्टर हलफनामे के साथ कोर्ट में पेश हों। बेंच ने आदेश में कहा, ‘हर एक अधिकारी को लिखित बयान पेश करना होगा जिसमें अतिक्रमण हटाने और एनएचएआई को जमीन का कब्जा सौंपने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी हो। ऐसा न करने पर इस कोर्ट की तरफ से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’ Delhi Katra Expressway में कहां आ रही दिक्कत?