उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के हत्यारे विकास दुबे का पकड़ा जाना और उसका कथित एनकाउंटर इन दिनों अदालती कार्यवाहियों में भी सुनने को मिलने लगा है। मंगलवार (28 जुलाई, 2020) को सुप्रीम कोर्ट में दो मामलों में सुनवाई के दौरान ऐसा ही कुछ हुआ जब चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत देने से इनकार कर दिया।
पहले मामले में सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने उन्हें जमानत मिलने के बाद भी एस्कॉर्ट लगाए रखने की शिकायत की थी और कोर्ट से इसे हटाने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता वकील ने अपनी जमानत की अवधि बढ़ाए जाने का अनुरोध करते हुए कहा कि ‘माई लार्ड, मैं छह महीने से जमानत पर हूं और फिर भी मैं कहीं जाता हूं तब दो पुलिसकर्मियों द्वारा मुझे एस्कॉर्ट किया जाता है। ये एस्कॉर्ट रोकी जानी चाहिए। इसकी जरूरत नहीं है और इस कोरोना वायरस माहमारी के समय तो बिल्कुल भी नहीं।’ याचिकाकर्ता की अपील पर जस्टिस बोबडे ने कहा, ‘आजकल बहुत मुठभेड़ हो रही हैं। आपके पास एक एस्कॉर्ट होना चाहिए। इसे मत हटाइए।’
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वहीं दूसरा मामला आठ आपराधिक मामलों से जुड़े आरोपी का है, जिसने कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने आरोपी के वकील से कहा, ‘वो बहुत खतरनाक अपराधी है। हम आपके मुवक्किल को जमानत नहीं दे सकते। आपने देखा नहीं उस मामले में क्या हुआ। एक अपराधी जिसपर 64 मामले लंबित थे। उसे जमानत देने का क्या नतीजा हुआ। पूरे यूपी को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा।’
इसके बाद कोर्ट ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि 64 संगीन मामले होने के बाद भी विकास दुबे बार-बार जमानत पाने में कामयाब होता रहा है और बाद में आठ पुलिसर्मियों की हत्या का गुनाहगार भी साबित हुआ।