तभी तो भाजपा और कांग्रेस दोनों अपने आलाकमानों के भरोसे चुनाव मैदान में डटे हैं। भाजपा जहां प्रधानमंत्री मोदी के सहारे नैय्या पार लगाने की जुगत में हैं तो वहीं, कांग्रेस दिवंगत नेता शीला दीक्षित के चेहरे के सहारे प्रचार कर रही है।

दोनों के प्रचार पोस्टरों को देख कर यह कोई भी समझ सकता है कि अब गली-मोहल्ले के चुनाव में भी स्थानीय मेलजोल और व्यवहार जैसे कुछ रह ही नहीं गया। किसी ने ठीक ही कहा- सबसे छोटा चुनाव भी प्रदेश के नेता अपने बूते नहीं जीत पाते। बीते दिनों कांग्रेस के घोषणा पत्र जारी होने के मौके पर भी उसके प्रदेश अध्यक्ष ने भी यह बात कह डाली कि कांग्रेस शीला दीक्षित के कामों को भुनाएगी। रही बात आम आदमी पार्टी की तो वे दिल्ली क्या पूरे देश को एक ही व्यक्ति के नाम पर नाप देना चाहते हैं। हालांकि चेहरा बनाम काम की राजनीति में दिल्ली वाले क्या फैसला सुनाते हैं यह देखना मौजू होगा।

खींचतान का खामियाजा

सत्ताधारी दल के नेताओं के बीच खींचतान का खामियाजा अब चल रही एसआइटी या अन्य जांचों पर पर दिखने लगा है। हाल ही में गौतमबुद्ध नगर की राजनीति में कद्दावर नेता के भाई की भूमि घोटाले में कथित संलिप्तता को लेकर हुई गिरफ्तारी इन दिनों लोगों के बीच चर्चा में है। इसे एक खेमे के नेताओं का प्रभाव भी कहा जा रहा है।

बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी से बचाने के लिए सत्ताधारी दल के बड़े नेता समेत कइयों ने जी-जीन लगा दी थी। अलबत्ता उनका दबाव पुलिस-प्रशासन पर बे-असर साबित हुआ। वहीं, अंदरखाने चर्चा है कि जांच से इतर दूसरे खेमे का सीधा नहीं तो परोक्ष दबाव पुलिस प्रशासन पर है। इसका नतीजा यह रहा कि दोनों खेमों की खींचतान में काफी चीजें सामने आ रही हैं।

पहाड़ पर तप!

निगम चुनाव की चर्चा दिल्ली में काफी तेज है। यहां आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों एक-दूसरे को घेरने के लिए तमाम तरह के नए तरीके सामने ला रहे हैं। पिछले दिनों कूड़े के पहाड़ पर तपस्या करते दिखा कर आम आदमी पार्टी ने काफी चर्चा बटोरी। दरअसल, इस बार पार्टी कूड़े पर भाजपा को घेर रही है, इसलिए उसकी रचनात्मकता भी इसी के इर्द-गिर्द दिख रही है।

आम आदमी पार्टी ने दिखाया कि भाजपा दिल्ली के नेता इन कूड़े के पहाड़ों के आसपास तपस्या कर रहे हैं, इसलिए ये कूड़े के पहाड़ों को दिल्ली से हटाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। हालांकि इस मजेदार प्रचार में जनता भी मौज लेने से नहीं चूक रही है।

‘यम हैं हम’

भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के प्रदूषण को लेकर आम आदमी पार्टी पर फिल्मों के सहारे हमला बोल रही है। इस चुनावी माहौल में भाजपा के एक नेता ने एक वीडियो में यमराज और चित्रगुप्त के संवाद के जरिए प्रदूषण के मामले पर ध्यान खींचने की कोशिश की है।

यह वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में चर्चा में है। यम और चित्रगुप्त के संवाद में दिल्ली के प्रदूषण को खलनायक बनाया गया है। जिसको दिया मौका, उसको मिला धोखा नाम के वीडियो में बताया गया है कि कैसे पहले दिल्ली और अब निगम के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की जा रही है।

घंटे भर में घर

नगर निगम चुनाव को लेकर दिल्ली में रोज नए-नए किस्से सामने आ रहे हैं। ठिकानों की तलाश में लगातार संपर्क कर रहे हैं। इसी बीच देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के कुछ नेता अपने समर्थकों के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज पार्टी का दामन थामने चले गए। नेता और समर्थकों के शामिल होते दावा किया गया है कि अब लोगों को भरोसा टूट रहा है। पर कुछ ही घंटे बाद नेता अपने समर्थकों के साथ घर वापसी कर गए और जो बात उन्होंने कही उसकी चर्चा जोरों पर हुई। उन्होंने कहा कि ‘दिल्ली की सत्ता पर काबिज पार्टी ने जिस मुद्दे पर शामिल होने के लिए कहा था।

चंद घंटों में ही उस मुद्दे को भूला दिया गया और कहा गया कि यहां तो वही होता है, जो पार्टी का आला कमान कहता है।’ इसके बाद नेता जी ने निर्णय लिया कि घर वापसी करने में ही समझदारी है और कुछ घंटे बाद ही उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष एक बार फिर से पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

सियासत का अखाड़ा

पूर्वी दिल्ली के एक पूर्व महापौर और भाजपा के ही एक पूर्व पार्षद के समर्थकों के बीच चुनावी कार्यक्रम के दौरान हाथापाई हो गई। दरअसल, इस बार पार्षद आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि पूर्व महापौर को भाजपा ने यहां से उम्मीदवार बनाकर अपने दो पुराने दोस्तों में ही मुकाबला कड़ा कर दिया है।

पूर्व महापौर तब से चर्चा में रहे हैं जब वे प्रथम नागरिक की कुर्सी पर बैठने के बाद यह घोषणा कर बैठे थे कि वे महापौर की कोई भी सरकारी सुविधाएं नहीं लेंगे यहां तक कि गाड़ी भी उनकी अपनी ही होगी। लेकिन उनसे नाराज लोग इतने करीब होंगे कि टीवी चैनल के कार्यक्रम में ही उनकी और उनके बेटे की पिटाई कर देंगे इसका उन्हें अंदाजा नहीं था।
-बेदिल