महाराष्ट्र के शहरी विकास और लोक निर्माण मंत्री एवं शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे पार्टी प्रमुख और सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने और पार्टी को तोड़ने की कोशिशों को लेकर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। शिवसेना के 55 विधायकों में करीब दो-तिहाई से अधिक विधायकों को अपने साथ लेकर शिंदे ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार पर संकट को बढ़ा दिया है।
भाजपा शासित असम में गुवाहाटी स्थित लग्जरी होटल से शिवसेना विधायक दल के नेता के पद के लिए अपना दावेदारी पेश करने के बाद, 58 वर्षीय शिंदे और उनके समर्थकों को भले ही ठाकरे के करीबी शिवसेना नेताओं-कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन उन्हें सतारा जिले के उनके पैतृक गांव दरे के लोगों का जोरदार समर्थन मिला है, जो इस बात की उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शिंदे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
दरे गांव, पहाड़ी शहर महाबलेश्वर से लगभग 70 किमी दूर स्थित है। कोयना नदी के तट पर बसे इस गांव में केवल 30 घर हैं। गांव एक तरफ वनों और दूसरी तरफ कोयना से घिरा हुआ है। इसके अधिकांश घरों में ताला लगा हुआ है क्योंकि यहां रहने वाले प्रवासी मजदूर हैं जिन्हें गांव में आय का कोई नियमित स्रोत नहीं होने के कारण मुंबई और पुणे में काम करने जाना पड़ता है।
दरे सतारा लोकसभा क्षेत्र के वाई-महाबलेश्वर विधानसभा क्षेत्र में आता है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में एनसीपी द्वारा किया जाता है। यहां के सरपंच कहते हैं, “यह इलाका एनसीपी का गढ़ रहा है और एकनाथ शिंदे ने कभी भी अपनी पार्टी के लिए गांव के लोगों को लुभाने की कोशिश नहीं की। वह कभी भी स्थानीय स्तर पर किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं रहे, हालांकि उन्होंने गांव में कुछ विकास कार्यों की शुरुआत की है। वह जो फैसला लेते हैं, हम गांववाले उनके साथ खड़े रहते हैं। लेकिन हम भगवान से प्रार्थना करते रहे हैं कि वह एक दिन मुख्यमंत्री बनें और हमारे गांव को गौरवान्वित करें।”
गांव में न स्कूल न अस्पताल: इस गांव में न तो कोई स्कूल है और न ही कोई अस्पताल है। ग्रामीणों को शैक्षणिक या स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तपोला पर निर्भर रहना पड़ता है जिसकी सड़क के रास्ते दूरी 50 किमी या नाव द्वारा 10 किमी है। हालांकि, दरे में दो हेलीपैड जरूर हैं क्योंकि शिंदे हमेशा हेलिकॉप्टर से गांव आते हैं।