गुजरात में भूकम्प के संभावित खतरे के विश्लेषण की क्षमता बढ़ाने के लिए गांधी नगर स्थित इंस्टीट्यूट आॅफ सिस्मोलॉजिकल रिसर्च (आइएसआर) ने राज्य में 50 नए भूकम्प अध्ययन केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। इन केंद्रों की स्थापना में लगभग पांच करोड़ रुपए की लागत आ सकती है।
आइएसआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ संतोष कुमार ने कहा कि इन नए भूकम्प अध्ययन केंद्रों में दो प्रमुख घटक होंगे। ये घटक होंगे- स्ट्रॉन्ग मोशन एक्सेलेरोग्राफ (तीव्र कम्पनमापी) और ब्रॉडबैंड सिस्मोमीटर। इस समय गुजरात में भूकम्प की पहले से चेतावनी देने वाले 60 स्थायी केंद्रों में ऐसे सेंसर लगे हैं। इन 60 केंद्रों में से 45 केंद्र सीधे तौर पर आइएसआर से जुड़े हैं जबकि बाकी केंद्र आॅफलाइन हैं।
26 जनवरी 2001 में अहमदाबाद से लगभग 250 किलोमीटर पश्चिम में आए भीषण भूकम्प में 13,800 लोग मारे गए थे और 1,67,000 लोग घायल हो गए थे। भूकम्प का केंद्र 25 किलोमीटर की गहराई में था। कुमार के अनुसार, 50 नए केंद्र विभिन्न भूगर्भीय लहरों और सिग्नलों आदि का संग्रहण और विश्लेषण करेंगे। इससे वैज्ञानिकों को उन फॉल्ट लाइनों का पता लगाने में आसानी होगी जो भूकम्प के लिए जिम्मेदार होती हैं।
कुमार ने कहा कि आइएसआर की योजना 50 नए भूकम्प अध्ययन केंद्रों की स्थापना की है ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि गुजरात की धरती के नीचे चल क्या रहा है। उन्होंने कहा, ‘हर स्टेशन में एक एसएमए (स्ट्रांग मोशन एक्सेलेरोग्राफ) और एक बीबीएस (ब्रॉड बैंड सिस्मोमीटर) होगा। ये यंत्र बेहद संवेदनशील हैं। हमारी परियोजना की कुल लागत लगभग पांच करोड़ रुपए है। यह परियोजना दीर्घकालिक भूकम्पीय खतरे का आकलन करने से जुड़ी है, क्योंकि हमारे पास हमारी धरती की सतह के नीचे के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।’
ब्रॉडबैंड सिस्मोमीटर वे यंत्र हैं, जो जमीन की गति का मापन करते हैं। इस गति में भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट और अन्य भूगर्भीय स्रोतों के कारण पैदा होने वाली भूकम्पीय तरंगें शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि भूगर्भीय तरंगों के रेकॉर्डों की मदद से भूकम्पविद धरती के आंतरिक स्थल का खाका समझ पाएंगे और इन स्रोतों के स्थान और आकार का पता लगा पाएंगे। स्ट्रांग मोशन एक्सेलेरोग्राफ उस समय उपयोगी होते हैं, जब भूकम्प के कारण जमीन में कंपन इतना तेज होता है कि ज्यादा संवेदनशील भूकम्पमापी यंत्र का पैमाना ही विफल हो जाता है।
कुमार ने कहा कि नए 50 केंद्र मौजूदा तंत्र की तरह गुजरात भर में बिखरे नहीं होंगे। ये केंद्र छह माह के लिए किसी शहर विशेष या जिला विशेष में वहां के आंकड़े जुटाने के लिए लगाए जाएंगे। इस तरह किसी क्षेत्र विशेष की भूकम्पीय गतिविधि के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी। इसके बाद उन्हें किसी दूसरे स्थान पर लगाया जाएगा।