हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कहा कि हरियाणा किसान आंदोलन का केंद्र है इसलिए हमने राज्य में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा की स्थिति पर चर्चा की। खट्टर के साथ शाह से मुलाकात के लिए गए उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा सरकार को कोई खतरा नहीं है और वह अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने समिति गठित की है। उम्मीद है कि चीजें जल्द सुलझ जाएंगी।

उल्लेखनीय है कि किसानों के रोष के कारण हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की करनाल की रैली रद्द होने और वहां 800 से ज्यादा लोगों पर मामला दर्ज किए जाने के बाद प्रदेश में सियासी हलचल शुरू हो गई। प्रदेश की सरकार में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायकों ने मंगलवार को उप मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रमुख दुष्यंत चौटाला से मुलाकात कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।

उन्होंने दुष्यंत चौटाला से स्पष्ट कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो गठबंधन सरकार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके बाद दुष्यंत चौटाला को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर नई दिल्ली पहुंचे, जहां दोनों नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की।

जजपा के हरियाणा प्रधान निशान सिंह ने कहा कि उप मुख्यमंत्री के साथ उनकी बैठक का एक ही एजंडा था, कृषि कानूनों की वापसी। करनाल में नाराज किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की महापंचायत नहीं होने दी थी। उनका हेलिकॉप्टर नहीं उतरने दिया गया। करनाल लोकसभा सीट भाजपा के पास है और खुद मुख्यमंत्री खट्टर करनाल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हैं।

करनाल की घटना को लेकर जननायक जनता पार्टी के विधायक प्रदर्शनकारी किसानों के दबाव में बताए जा रहे हैं। मंगलवार को दुष्यंत चौटाला से मुलाकात में विधायकों ने साफ कहा है कि अगर सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो प्रदेश गठबंधन सरकार को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। अगर किसान आंदोलन लंबा खिंचता है तो उनपर दबाव बढ़ता जाएगा।

जजपा विधायक जोगी राम सिहाग ने कहा कि केंद्र को इन कानूनों को वापस लेना चाहिए क्योंकि हरियाणा, पंजाब और देश के किसान इन कानूनों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि दुष्यंत चौटाला ने इस बात से गृह मंत्री को अवगत कराया है। जजपा विधायक राम कुमार गौतम ने कहा कि हरियाणा में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ भावनाएं हैं और आगामी दिनों में इसकी कीमत सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन को चुकानी होगी।