खासकर लाल एसी बसें तो अब कहने की वातानुकूलित व विश्वस्तरीय रह गईं हैं। सवारियों की माने तो सात -आठ साल पहले इसकी सवारी सुखद व आनंदित हुआ करती थी। इन दिनों लोग लाल एसी की जगह हरी व नीली बसों को तरजीह देते नजर आ रहे हैं। इसकी बजह बस स्टाप पर पहुंच कर जानी जा सकती है।
दरअसल, सड़कों पर ज्यादातर लाल एसी बसें अब जुगाड़ तकनीक पर नजर आ रहीं हैं। ऐसा ही एक माजरा दिखा बीते दिनों रूट नंबर 429 पर। डीडीए फ्लैट कालकाजी से चली बस ( …सी 3163) के पिछले दरवाजे को कपड़े से बांध कर ठीक किया गया था। केवल अगले दरवाजे से चढना-उतरना होता रहा! कई स्टैंड पर लोग बस में चढने के लिए पिछले दरवाजे पर खड़े रहते और गेट खुलता ही नही! बस आगे बढ़ जाती, बाहर लोग बड़बड़ाते और अंदर लोग हंसते! कंडक्टर सफाई देता- ‘केवल इसी गाड़ी में थोडे ही है, ज्यादातर का यही हाल है! कोई सुनने वाला नहीं, किसी की एसी खराब तो किसी का कंप्रेशर, तो कोई लोड नहीं लेती तो किसी के दरवाजे खराब’! सब जुगाड़ से दौड़ रही हैं।
नौकरी के समीकरण
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में पिछले कई महीनों से शीर्ष स्तर पर लगातार हो रहे बदलाव से नित नए समीकरण सामने आ रहे हैं। योगी सरकार के पूर्व कार्यकाल में प्राधिकरण सीईओ के नजदीक रहे अधिकारी एकाएक उनके हटने के बाद हाशिए पर पहुंच गए। बदलाव की बयार की आंधी में कइयों के तबादले दूर-दराज इलाकों में हुए। इसके बाद बदले निजाम में पूर्व में गुमनाम और गायब रहे अधिकारियों की लाबी एकाएक सक्रिय हो गई।
रोजाना होने वाली अहम बैठकों में अब पुराने अधिकारियों के बजाए वे दिखने लगे। इसी दौरान ही में नोएडा सीईओ को ग्रेटर नोएडा की जिम्मेदारी मिलने और उनकी अलग प्राथमिकताओं के चलते हाशिए पर पहुंचे अधिकारी अपने को बेहतरीन साबित करने में लग गए हैं। हालांकि पूर्व में नोएडा में तैनात रहे और अब ग्रेटर नोएडा में अहम पदों को संभाल रहे कुछ अधिकारी हालिया बदलाव से कुछ असहज जरूर दिख रहे हैं।
तस्वीर से बाहर
देश ने बापू की जयंती पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद किया। उनकी याद में मुख्य समाधि स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के एक अहम व्यक्ति को एक जगह से हटाए जाने पर आम आदमी पार्टी ने चुटकी ली। दरअसल, जिस समय मंच के सामने पुष्प अर्पित करने के लिए लोग पहुंच रहे थे उसी समय वे भी ऐसी जगह मौजूद थे, जहां से तस्वीर जम नहीं रही थी। बाद में उनको फ्रेम से हटा दिया गया। इसका वीडियो आम आदमी पार्टी ने सोशल मीडिया पर डाला और चुटकी ली कि वे साइड लाइन हो गए।
साहब की अनुमति
आज आनलाइन शिकायत करने का दौर है लेकिन तकनीक की जानकारी न रखने वाले वालों के लिए भौतिक रूप से उपस्थित रखकर शिकायत दर्ज कराने की भी व्यवस्था है। पर जिला रोहिणी के एक पुलिस थाने में सूचना लिखी थी कि बिना थानाध्यक्ष के अनुमति के शिकायत दर्ज नहीं होगी। लेकिन जब अधिकारी थाने में मौजूद नहीं होंगे तो किससे अनुमति लें, यह कहीं नहीं लिखा था। इससे फरियादियों को अपना समय वहीं थाने में साहब के आने तक देना पड़ता है। कई फरियादी तो साहब का इंतजार करते-करते और मुसीबत में पड़ते चले जाते हैं। बेदिल को पता चला कि पुलिस विभाग में इस सूचना को लेकर साहब की किरकिरी तो हो रही है, पर शिकायत ऊपर नहीं पहुंची इसलिए सूचना पट्ट पर अनुमति लेनी होगी हटा नहीं है।
निगम का भेदभाव
एकीकृत निगम में अभी भी वेतन के मामले में विसंगतियां देखने को मिल रही हैं। निगम के सूत्रों के मुताबिक ग्रेड के हिसाब से तो पहले भी वेतन वितरण होता था लेकिन अब निगम के हिसाब से वेतन मिल रहा है। मतलब पहले दक्षिणी, उत्तरी और फिर सबसे बाद में पूर्वी निगम। बेदिल को एकीकरण से पहले पूर्वी निगम में कार्यरत एक अधिकारी ने ही बताया कि अभी भी यह भेदभाव लागू है और इसका हल तब तक नहीं होगा जब तक कि दक्षिणी निगम के सारे अधिकारियों को दूसरे निगम के क्षेत्राधीन में स्थानांतरण नहीं कर दिया जाए। कारण बंटवारे से पहले के दक्षिणी निगम के आयुक्त ही इस समय तीनों निगमों के आयुक्त हैं तो फिर कमजोरी तो वहीं फंस जाती है। इसको लेकर कर्मचारियों में थोड़ी नाराजगी है लेकिन वे करें तो करें क्या।
-बेदिल