भाजपा विधायक भीमलाल आर्य के कांग्रेसी खेमे के साथ घूमने की चर्चाओं के बीच वरिष्ठ भाजपा सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर आरोप लगाया कि अपनी पार्टी के विधायकों के बागी होने के लिए भाजपा पर तोहमत मढ़ने से पहले उन्हें अपनी नैतिकता पर ध्यान देना चाहिए।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कोश्यारी ने कहा, ‘भाजपा के एक विधायक को तो वह (हरीश रावत) अपनी जेब में डाले हैं तब उन्हें नैतिकता का ख्याल नहीं आया। अब जब उन्हीं की पार्टी के विधायकों ने उनके खिलाफ बगावत कर दी तो वह भाजपा पर झूठा आरोप मढ़कर नैतिकता की दुहाई दे रहे हैं। यह तो वही बात हुई कि सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के अंदर टूट के लिए रावत खुद ही जिम्मेदार हैं लेकिन वह इसमें बार-बार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी घसीट रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के विभाजन में भाजपा नेताओं की भूमिका को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है जबकि दुनिया में इससे बड़ा झूठ कुछ नहीं हो सकता। अपने विधायकों के बगावत कर देने के बाद कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री की स्थिति ऐसी हो गयी है जैसे खिसियाई बिल्ली खंभा नोचे।’
नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से सांसद कोश्यारी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रावत तो पुराने कांग्रेसी हैं और उन्हें याद होना चाहिए कि जब 1975 में कांग्रेस ने अत्याचारी और अहंकारी रुख अपनाकर प्रजातंत्र का गला घोंटा, तब भी कांग्रेस के अनुभवी और वरिष्ठ नेताओं सहित बहुत से लोगों ने विद्रोह किया और कांग्रेस टूटी थी। उन्होंने कहा कि तब भी मोरारजी देसाई, चंद्रशेखर, जगजीवन राम और वर्तमान में रावत से अलग हो गए पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पिता हेमवती नंदन बहुगुणा ने कांग्रेस छोड़ दी थी। कोश्यारी ने कहा,‘रावतजी को समझना चाहिए कि घर को लगी है आग, घर के चिराग से।’
प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के निर्णय को सही ठहराते हुए कोश्यारी ने कहा कि 18 मार्च को वित्त विधेयक के पारित न होने के बावजूद उसे पास दिखाए जाने से प्रदेश में संवैधानिक संकट पैदा हो गया था और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रदेश में केंद्रीय शासन लगाया जाना जरूरी था। उन्होंने इस संबंध में कहा कि इस मामले को संभालने में राज्यपाल के स्तर पर भी चूक हुई और 35 विधायकों के सरकार के विरोध में खड़े होने के बाद उन्हें राज्य सरकार को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए था।
भाजपा सांसद ने कहा, ‘जब कुल 35 विधायकों ने राज्यपाल को बता दिया था कि वे सरकार के विरोध में हैं तो ऐसी राज्य सरकार को तुरंत बर्खास्त कर विधानसभा को निलंबित कर दिया जाना चाहिए था। इस मामले में राज्यपाल से चूक हो गई और फिर हमें राष्ट्रपति के पास गुहार करना पड़ा।’
कोश्यारी ने कहा कि नैतिकता की बात करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत में अगर जरा भी नैतिकता होती तो ऐसी स्थिति में वह स्वयं त्यागपत्र दे देते। राज्य में भाजपा के सरकार बनाने के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस संबंध में समय आने पर परिस्थिति के अनुरूप निर्णय लिया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि विधानसभा में भाजपा के पास संख्या बल कहां से आएगा, उन्होंने कहा कि विधानसभा में जिन लोगों ने कांग्रेस सरकार का विरोध किया है, उन्हें उम्मीद है कि वह भाजपा का साथ देंगे।