पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन पर लगने वाले मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों का जवाब दिया है। शनिवार (16 जून) को कोलकाता की रेड रोड पर ईद-उल-फितर की नमाज के बाद ममता बनर्जी ने उन लोगों के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की जो उन पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाते हैं। सीएम ने कहा कि अगर वह हिंदुओं से प्यार करें तो इसका मतलब यह नहीं होता है कि वह मुस्लिमों से नफरत करें। सीएम बनर्जी ने कहा, ”जो लोग कहते हैं कि मैं मुस्लिम तुष्टिकरण करती हूं वे न तो हिंदुओं के दोस्त और न ही मुसलमानों के।” ममता बनर्जी पर अक्सर आरोप लगते हैं कि वह राजनीतिक लाभ लेने के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अपनाती हैं। ममता बनर्जी के निशाने पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कुछ संगठन रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन पर ऐसा आरोप इसलिए लगा क्योंकि नीति आयोग की बैठक पहले शनिवार को होने वाली थी, जिसे बाद में बदलकर रविवार किया गया।

उन्होंने कहा, ”मेरा सवाल केंद्र सरकार के अधिकारियों से है कि क्या वे यह नहीं जानते हैं कि ईद 16 जून को मनाई जाने वाली है, नीति आयोग की बैठक उस दिन क्यों रखी गई? मैंने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि बैठक की तारीख बदली जाए ताकि वह ईद वाले दिन पर न हो।” ममता बनर्जी ने रविवार को नई दिल्ली में पुनर्निर्धारित नीति आयोगी बैठक में शामिल होने की पुष्टि की। बता दें कि ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा था ईद-उल-फितर के अवसर पर उनकी प्रतिबद्धताओं के कारण वह अनिच्छा से इस बैठक में भाग लेने जा रही हैं।

नीति आयोग की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। पहले ईद के दिन रखे जाने के कारण ममता बनर्जी ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था। उन्होंने यह भी खुलासा किया था कि कई मुख्यमंत्रियों ने उनसे इस उच्चस्तरीय बैठक में भाग लेने की गुजारिश की थी। ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय नाबन्ना में कहा था, “नीति आयोग की बैठक पहले 16 जून को निर्धारित थी, लेकिन मैंने ध्यान दिलाया कि हममें से जो ईद की नमाज में शामिल होने वाले हैं, वे इस बैठक में नहीं आ सकेंगे। इसलिए बैठक 17 जून सुबह 9.00 बजे रखी गई है।” बनर्जी ने कहा था कि उनका मन नहीं है, फिर भी वह बैठक में भाग लेने जा रही हैं, संभवत: यह नीति आयोग की आखिरी बैठक होगी।