दिल्ली पुलिस ने 26 फरवरी को सांप्रदायिक दंगों में मारे गए बीस वर्षीय वेटर दिलबर नेगी की हत्या का आरोप 12 लोगों पर लगाया है। नेगी का क्षत-विक्षत शव शिव विहार में अनिल स्वीट में मिला था, जहां वो काम करता था। हत्या के अलावा आरोपियों पर आपराधिक साजिश, दंगा करने और समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया गया है। आरोपियों के इकबालिया बयान की एक कॉपी द इंडियन एक्सप्रेस को मिली है, जिसमें एक पैटर्न का पता चलता है। 12 में 9 आरोपियों के बयान करीब-करीब एक जैसे थे। शब्द और वाक्य शब्दशः दोहराए गए हैं। बाकी के तीन आरोपियों के बयान अलग-अलग है। जहां वो बताते हैं कि पिस्तौल कैसे मिली। इनमें एक ने स्वीकार किया कि उसने हिंदुओं पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी।

धारा 161 सीआरपीसी के तहत दर्ज और आरोप पत्र में संलग्न ये बयान ठोस सबूत नहीं हैं, मगर ट्रायल के दौरान सबूतों के खंडन या विरोधाभास के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। कड़कड़डूमा जिला अदालत के चीफ मेट्रोपॉलिटन की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई है। सभी आरोपी अभी न्यायिक हिरासत में हैं।

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चार के समान बयान के अंश: सीलमपुर
आजाद (24), राशिद/मोनू (20), अशरफ अली (29) और मोहम्मद फैजल (20) के सीलमपुर दंगों से संबंधित बयानों में मिलान के अंश-

पुलिस चार्जशीट के मुताबिक आजाद ने कहा- पिछले कुछ दिनों में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे। मेरे दोस्तों ने मुझे बताया कि जिनके पास सबूत (नागरिकता साबित करने के लिए) नहीं हैं, उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। इसके आधार पर 24 फरवरी को सीलमपुर में दंगे शुरू हो गए थे और धीरे-धीरे दंगे यमुनापार में फैल गए। लगभग दोपहर 2-3 बजे शिव विहार तिराहा पर लोग इकट्ठा होने लगे और हिंदुओं के घरों पर पथराव शुरू कर दिया। ऐसा काफी लंबे समय तक चला। मुस्तफाबाद में कई लोग इकट्ठे हुए थे और कहा था कि मुसलमानों को देश से निकाल दिया जाएगा और हमें आज उन्हें मुसलमानों की ताकत दिखानी होगी।

पूरी भीड़ के साथ मैं भी भीड़ के कहे अनुसार चला गया। शिव विहार में भीड़ जमा हो गई, जहां हिंदू ने हम पर पथराव किया, हमने उन पर पत्थर फेंके। हमारी तरफ से भीड़ नारे लगा रही थी: उन्हें मार डालो, आज हम काफिरों को छोड़ेंगे नहीं। मैं भावनाओं में बह गया और पथराव शुरू कर दिया। मैंने लंबे समय तक पत्थर फेंकना जारी रखा। इसके बाद भीड़ ने अनिल स्वीट शॉप और राजधानी स्कूल के गोदाम पर चढ़ना शुरू कर दिया और पथराव किया। मैं रात में अपने घर लौट आया और वहीं रहने लगा। मैंने गलती की है, कृपया मुझे क्षमा करें।

राशिद ने कहा- पिछले कुछ दिनों में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे। मेरे दोस्तों ने मुझे बताया कि जिनके पास सबूत (नागरिकता साबित करने के लिए) नहीं हैं, उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। इसके आधार पर 24 फरवरी को सीलमपुर में दंगे शुरू हो गए थे और धीरे-धीरे दंगे यमुनापार में फैल गए। लगभग दोपहर 2-3 बजे, शिव विहार तिराहा पर कई लोग इकट्ठा होने लगे और हिंदुओं के घरों पर पथराव शुरू कर दिया। हिंदुओं ने भी हम पर पथराव शुरू कर दिया। ऐसा काफी लंबे समय तक चला।

मुस्तफाबाद में कई लोग इकट्ठे हुए थे और कहा था कि मुसलमानों को देश से निकाल दिया जाएगा और हमें आज उन्हें मुसलमानों की ताकत दिखानी होगी। भीड़ के साथ-साथ मैं भी वहां से चला गया, जो भीड़ कह रही थी। भीड़ शिव विहार में इकट्ठा हुई, जहां हिंदू ने हम पर पथराव किया, हमने उन पर पत्थर फेंके। हमारी तरफ से भीड़ नारे लगा रही थी: उन्हें मार डालो, हम आज काफिरों को नहीं छोड़ेंगे। मैं भावनाओं में बह गया और पथराव शुरू कर दिया। मैं बहुत देर तक पत्थर मारता रहा। इसके बाद भीड़ ने अनिल स्वीट शॉप और राजधानी स्कूल के गोदाम पर चढ़ना शुरू कर दिया और पथराव किया। मैं सात-आठ घंटे बाद वापस लौट आया। मैंने गलती की है, कृपया कर मुझे क्षमा करें।

दो के समान बयान के अंश: जाफराबाद
जाफ़राबाद दंगों से संबंधित मोहम्मद शोएब (22) और शाहरुख (24) के बयानों में भी ऐसा ही है

शोएब ने कहा- सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। मेरे दोस्तों ने मुझे बताया कि जिनके पास सबूत (नागरिकता साबित करने के लिए) नहीं है, उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। इसके आधार पर 24 फरवरी को जाफराबाद में दंगे शुरू हो गए थे। धीरे-धीरे दंगे यमुनापार में फैल गए। दोपहर लगभग 3 बजे कई लोग शिव विहार तिराहा पर इकट्ठा होने लगे और हिंदू घरों पर पथराव शुरू कर दिया। मुस्तफाबाद में बहुत से लोग इकट्ठे हुए और कहने लगे कि मुसलमानों को देश से निकाल दिया जाएगा और आज हमें उन्हें मुसलमानों की ताकत दिखानी होगी।

मैंने भी नारेबाजी शुरू कर दी और जो मेरे साथ थे उन्होंने भी हिंदुओं के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद आग लगा दी गई। पूरी भीड़ ने नारे लगाने शुरू कर दिए। काफिरों को बाहर निकालो… नारे-ए-तकबीर… अल्लाह-हु-अकबर। इसके बाद हिंदू घरों में गुलेल का उपयोग करके पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।

शाहरुख ने कहा- सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। मेरे दोस्तों ने मुझे बताया कि जिनके पास सबूत (नागरिकता साबित करने के लिए) नहीं है, उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। इसके आधार पर 24 फरवरी को जाफराबाद में दंगे शुरू हो गए। धीरे-धीरे दंगे यमुनापार में फैल गए। दोपहर लगभग 3 बजे कई लोग शिव विहार तिराहा पर इकट्ठा होने लगे और हिंदू घरों पर पथराव शुरू कर दिया।

मुस्तफाबाद में बहुत से लोग इकट्ठा हुए और कहने लगे कि मुसलमानों को देश से निकाल दिया जाएगा और आज हमें उन्हें मुसलमानों की ताकत दिखानी होगी। मैंने भी नारेबाजी शुरू कर दी और जो मेरे साथ थे उन्होंने भी हिंदुओं के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद आग लगा दी गई। पूरी भीड़ ने नारे लगाने शुरू कर दिए। नारे-ए-तकबीर… अल्लाह-हु-अकबर। इसके बाद हिंदू घरों में गुलेल का उपयोग करके पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।

तीन के बयान में समान मिलान के अंश
ताहिर (38), परवेज (34) और राशिद (22) के बयान एक समान लगते हैं। थोड़े से जोड़ के साथ ऊपर दिए गए बयान के लगभग एक समान-

ताहिर ने कहा- ”पिछले कुछ दिनों में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। मेरे दोस्तों और एक्सपर्ट्स ने मुझे बताया कि जिन लोगों के पास (नागरिकता साबित करने के लिए) सबूत नहीं हैं, उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। इसके आधार पर 24 फरवरी को जाफराबाद में दंगे शुरू हो गए थे। धीरे-धीरे दंगे यमुनापार में फैल गए। दोपहर लगभग 3 बजे कई लोग शिव विहार तिराहा पर इकट्ठा होने लगे और हिंदू घरों पर पथराव शुरू कर दिया।

मुस्तफाबाद में कई लोग इकट्ठे हुए और बताने लगे कि मुसलमानों को देश से निकाल दिया जाएगा और आज हमें उन्हें मुसलमानों की ताकत दिखानी होगी। इसके बाद पूरी भीड़ ने नारे लगाने शुरू कर दिए। काफिरों को बाहर निकालो… नारे-ए-तकबीर… अल्लाह-हु-अकबर। और हिंदू घरों में गुलेल का उपयोग करके पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।

ताहिर के बयान के ये पैराग्राफ परवेज और राशिद दोनों के इकबालिया बयानों में दोहराए गए हैं। इस्तेमाल किए गए हथियारों में बयान अलग-अलग हैं। आजाद और अशरफ अली ने कहा कि उनके पास ‘लकड़ी का बल्ला’ था। फैजल ने दावा किया कि उसके पास एक छड़ी थी। शोएब, शाहरुख, ताहिर, परवेज और रशीद ने दावा किया कि उन्होंने अपने घरों पर ‘लाठियां’ जमा की थीं।