UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश सरकार अब पंचायती व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी में है। सरकार का लक्ष्य है कि जैसे देश में सांसद और विधायक को जनता सीधे चुनती है, वैसे ही अब ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी आम जनता के वोट से हो। वर्तमान प्रणाली में इन पदों का चुनाव पंचायत सदस्यों के जरिए होता है, जिससे भ्रष्टाचार और सत्ता केंद्रीकरण जैसे आरोप लगते रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने इस क्रांतिकारी विचार को अमलीजामा पहनाने की शुरुआत कर दी है। हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मसले पर विस्तार से बातचीत की। राजभर ने मुख्यमंत्री के सामने यह प्रस्ताव रखा कि अब समय आ गया है कि जनता को सीधे इन पदों पर अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया जाए।
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मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान यह सुझाव भी दिया गया कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जाएं ताकि प्रस्ताव तैयार कर उसे केंद्र सरकार को भेजा जा सके। इसका उद्देश्य ग्राम स्तर पर लोकतंत्र को और अधिक जीवंत, पारदर्शी और सहभागी बनाना है।
प्रस्ताव अंतिम दौर में, केंद्र की हरी झंडी का इंतज़ार
सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार इस ऐतिहासिक बदलाव के प्रस्ताव को लगभग अंतिम रूप दे चुकी है। जल्द ही इसे औपचारिक रूप से केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। यदि केंद्र से मंजूरी मिलती है, तो संभावना है कि अगला पंचायत चुनाव इसी नई प्रणाली के तहत कराया जाएगा। इससे पंचायत चुनावों की पूरी रूपरेखा ही बदल सकती है।
दिल्ली में अमित शाह से भी हो चुकी है चर्चा
ओम प्रकाश राजभर इस प्रस्ताव को केवल राज्य स्तर तक सीमित नहीं रखना चाहते। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। राजभर के अनुसार, अमित शाह ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी और स्पष्ट कहा था कि राज्य सरकार से विधिवत प्रस्ताव मिलने पर केंद्र सरकार इसे गंभीरता से विचार करेगी।
सुभासपा भी मैदान में, पिता-पुत्र की जोड़ी सक्रिय
ओम प्रकाश राजभर के साथ इस मुद्दे पर उनके पुत्र अरविंद राजभर, जो सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं, भी पूरी तरह सक्रिय हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई बैठक में अरविंद भी शामिल हुए और उन्होंने भी इस प्रस्ताव का खुला समर्थन किया। सुभासपा का मानना है कि इससे ग्राम स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने का एक नया अध्याय शुरू होगा।
नई प्रणाली से क्या बदल जाएगा?
यदि यह प्रस्ताव पास होता है, तो इसका असर पंचायत स्तर पर बड़े पैमाने पर देखने को मिलेगा।
सीधी भागीदारी: जनता को सीधे अपने नेताओं को चुनने का अधिकार मिलेगा, जिससे लोकतंत्र की जड़ें और गहरी होंगी।
भ्रष्टाचार पर अंकुश: प्रतिनिधियों का सीधा चुनाव भ्रष्टाचार पर भी नियंत्रण करेगा, क्योंकि अब खरीद-फरोख्त की संभावना घटेगी।
नेतृत्व का सशक्तिकरण: स्थानीय स्तर पर सशक्त, सीधे चुने गए नेताओं का उदय होगा, जिन्हें जनता का स्पष्ट जनादेश प्राप्त होगा।
सत्ता का विकेंद्रीकरण: अब सत्ता कुछ लोगों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वास्तविक जनप्रतिनिधि उभरेंगे।
क्या हैं चुनौतियां?
हालांकि यह प्रस्ताव लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इसके सामने कुछ व्यावहारिक चुनौतियां भी हैं:
चुनावों की लागत बढ़ सकती है।
राजनीतिक दलों का दखल बढ़ने की आशंका है।
ग्रामीण स्तर पर चुनावी ध्रुवीकरण की संभावना बढ़ सकती है।
राज्य सरकार ने जो संकेत दिए हैं, उससे स्पष्ट है कि वह इस प्रस्ताव को लेकर गंभीर है। अब निगाहें केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। यदि प्रस्ताव को हरी झंडी मिलती है, तो यह न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश की पंचायत प्रणाली में बदलाव की दिशा में ऐतिहासिक पहल साबित हो सकती है।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रस्ताव भारतीय लोकतंत्र के गांवों तक पहुंचने की प्रक्रिया को और अधिक मजबूत, पारदर्शी और जनोन्मुखी बना सकता है। आने वाले दिनों में यदि केंद्र सरकार इसे मंजूरी देती है, तो यह देश की पंचायती व्यवस्था में सबसे बड़ा सुधार माना जाएगा।