अरूणाचल प्रदेश के निवर्तमान राज्यपाल जे. पी. राजखोवा ने आज कहा कि राज्य में 26 जनवरी से 19 फरवरी तक की संक्षिप्त अवधि के लिए राष्ट्रपति शासन सिर्फ राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर नहीं लगाया गया था। राज्य से रवाना होने से पहले राजखोवा ने एक संदेश में कहा, ‘‘समुचित समीक्षा और राष्ट्रपति द्वारा विवेक का प्रयोग करने के बाद ही संघ का शासन लगाया गया।’

उनके खिलाफ उच्चतम न्यायालय द्वारा आदेश दिए जाने पर केन्द्र ने कई बार उन्हें पद छोड़ने का संकेत दिया, लेकिन राजखोवा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। उन्हें कल राज्यपाल के पद से हटा दिया गया। विधानसभा का सत्र तय कार्यक्रम से पहले बुलाने तथा उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा 13 जुलाई को इस कदम को ‘‘असंवैधानिक’’ बताए जाने और यथा-स्थिति बनाए रखने का आदेश देने के संबंध में सवाल करने पर राजखोवा ने कहा कि वह इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय के आदेश और फैसले की योग्यता पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा, क्योंकि संविधान के तहत उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालय को संवैधानिक अनुच्छेदों की व्याख्या करने तथा फैसला सुनाने का अधिकार प्राप्त है।’’
राजखोवा ने कहा, ‘‘सुशासन देने के लक्ष्य से अपनी सर्वश्रेष्ठ योग्यता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, पूरी निष्कपटता, पूर्ण प्रतिबद्धता और निष्ठा के साथ आप लोगों की सेवा करने का मुझे बेहतरीन अवसर मिला था।’

उन्होंने अपने संदेश में कहा कि वह इस बात से बहुत खुश हैं कि राज्य के लोग, विशेष रूप से युवा वर्ग, चाहते हैं कि अरूणाचल प्रदेश भ्रष्टाचार मुक्त और संतुलित तरीके से सर्वांगीण विकास करे। उन्होंने कहा, ‘‘आप में से ज्यादातर लोगों को एहसास है कि निष्पक्ष, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के बगैर लोगों को तकलीफ होगी, विकास पीछे छूट जाएगा और बेरोजगारी बढ़ जाएगी।’ राजभवन में शुभाकांक्षियोंं ने राजखोवा और उनके परिवार को बिदाई दी।