तीन दिन में डेंगू के 50 नए मामले दर्ज किए गए हैं, जिसके चलते इस साल अब तक डेंगू के 193 मामले हो गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक यह पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक है। जिले में 13 अक्तूबर को डेंगू के 157 मामले दर्ज हुए थे। वहीं, 14 अक्तूबर को बढ़कर इनकी संख्या 178 और 15 अक्तूबर को 193 हो गई थी। बताया जा रहा है कि जिले में दो स्वीकृत प्रयोगशालाओं में प्रतिदिन 15-20 नए मामलों की पुष्टि हो रही है।
जिले के कई निजी अस्पतालों के बिस्तर डेंगू मरीजों से भरे हुए हैं। कई अस्पतालों में कोई बिस्तर खाली तक नहीं हैं। हालांकि निजी अस्पताल अब भी डेंगू के मरीजों की संख्या स्वास्थ्य विभाग को नहीं बता रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डेंगू की स्थिति चिंताजनक जरूर है लेकिन एनसीआर के अन्य शहरों की तुलना में गौतमबुद्ध नगर ज्यादा नियंत्रण में है। गौतमबुद्ध नगर में अब तक मामले कम हैं। इस साल अब तक किसी एक इलाके से ज्यादा मामले नहीं मिले हैं। जबकि पिछले कुछ वर्षों में निठारी और छिजारसी डेंगू के केंद्र के रूप में उभरे थे।
इस साल जेवर से ज्यादा मामले सामने आए हैं। जिले के अस्पतालों में 300 से अधिक डेंगू के संदिग्ध मरीजों का इलाज चल रहा है। जिला मलेरिया अधिकारी राजेश शर्मा के मुताबिक 2021 में पूरे जिले से मामले मिले हैं। किसी खास इलाके से मरीजों की भारी संख्या नहीं मिली है। जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे जिले से डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं।
प्लेटलेट्स के लिए लग रही कतार : डेंगू में मरीजों की प्लेटलेट्स गिरती है। रक्त से प्लेटलेट्स को अलग कर मरीजों को चढ़ाया जाता है। यहां कई अस्पतालों में रक्त से प्लेटलेट्स अलग करने की सुविधा नहीं है। ऐसे में बड़े अस्पतालों में लंबी कतार लग रही है। मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि दानदाता होने पर भी कतार इतनी लंबी है कि कई घंटों बाद नंबर आ रहा है। ऐसे में मरीज की तबीयत ज्यादा खराब हो रही है।
डेंगू से बचाव
घर, छत और बालकनी में बाल्टी या खुले में पानी जमा ना होने दें। बालकनी में बर्तन, कूलर, चिड़ियों को पानी देने वाली ट्रे, खराब टायर और थर्माकोल कप जैसी जगहों पर भी डेंगू के मच्छर पैदा होते हैं। प्रजनन पाए जाने पर या तो पानी निकाल देना चाहिए या उसके ऊपर मिट्टी का तेल डालना चाहिए।