राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए शुरू की गई दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी सम-विषम योजना की सोमवार को संसद में तीखी आलोचना की गई और सदस्यों ने आरोप लगाया कि इसका मकसद सांसदों को ‘अपमानित’ करना है और इससे ‘भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा’ मिलेगा। उन्होंने सांसदों को छूट दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि इस योजना के कारण सांसदों को अपने कर्तव्य का पालने करने में परेशानी आ रही है। सरकार ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे पर उचित प्राधिकार से बातचीत करेगी।
राज्यसभा में यह मुद्दा सपा के नरेश अग्रवाल ने उठाया और कहा कि जिस प्रकार विभिन्न श्रेणियों के तहत छूट दी गई है, सांसदों को भी इस योजना में छूट मिलनी चाहिए। उपसभापति पीजे कुरियन सहित कई सदस्यों ने भी इस मुद्दे का समर्थन किया। अग्रवाल ने अरविंद केजरीवाल नीत दिल्ली सरकार पर बरसते हुए आरोप लगाया कि सांसदों को ‘अपमानित’ करने के लिए जानबूझकर ऐसा किया गया है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार चुप क्यों है।
उन्होंने योजना का उपहास करते हुए कहा कि वह दिन दूर नहीं जब ऐसे नियम बना दिए जाएंगे कि एक दिन इस नाम वाले व्यक्ति सड़कों पर चलेंगे जबकि दूसरे दिन अन्य नाम वाले व्यक्ति। एक दिन सिर्फ महिला सड़कों पर चलेंगी और एक दिन सिर्फ पुरुष ही सड़कों पर चलेंगे। उन्होंने दावा किया कि इस नियम के कारण समितियों की कई बैठकें स्थगित की गईं।
कांग्रेस सदस्य राजीव शुक्ला ने कहा कि सांसदों को भी इस योजना में छूट मिलनी चाहिए। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने सम-विषम योजना पर व्यक्त किए गए विचारों का समर्थन किया और कहा कि इस योजना के कारण सांसदों को अपने कर्तव्य का पालन करने में बाधा आ रही है।
कुरियन ने सदस्यों की भावना का समर्थन किया और कहा कि सरकार का कर्तव्य है कि वह सांसदों को संसद में अपने कर्तव्य का पालन करने में मदद दे। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री को यह विषय दिल्ली सरकार के समक्ष उठाना चाहिए। नरेश अग्रवाल ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने जान बूझकर सांसदों को अपमानित करने के लिए उन्हें छूट नहीं दी जबकि कई अन्य को छूट दी गई है। उन्होंने कहा कि सांसदों को संसद से सिर्फ एक स्टिकर मिलता है, जिसे वह अपनी गाड़ियों पर लगाते हैं। उन्होंने कुछ वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने की मांग की। उन्होंने इस योजना के विरोध में भाजपा के एक सांसद द्वारा चालान कटाए जाने की घटना का भी जिक्र किया।
कांगे्रस के आनंद शर्मा ने आश्चर्य व्यक्त किया कि जब संसद का सत्र चल रहा हो, उस दौरान यह योजना कैसे लागू की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस योजना के कारण संसदीय समितियों की बैठकों को टालना पड़ा है। उन्होंने सरकार से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की।
जद (एकी) के केसी त्यागी ने सांसदों के वाहनों को योजना के तहत छूट दिए जाने की मांग का समर्थन किया लेकिन कहा कि दिल्ली सरकार की इस योजना की आलोचना उचित नहीं है क्योंकि प्रदूषण के स्तर में कमी आई है और विदेशों में भी इस योजना की प्रशंसा की गई है।
विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि कई सांसदों ने उन्हें बताया कि इस योजना के कारण उन्हें परेशानी हो रही है। नकवी ने मजाकिया लहजे में कहा कि विपक्ष को पहले संसद चलने देना चाहिए। इस पर कुरियन ने भी हंसते हुए कहा कि व्यवधान पैदा करने के लिए भी तो उन्हें यहां आना होगा।
15 अप्रैल से शुरू हुई सम-विषम योजना का दूसरा चरण 30 अप्रैल तक चलेगा जिसमें संसद सदस्यों को छूट नहीं दी गई है। कारों की संख्या कम करने की इस योजना संबंधी नियम का उल्लंघन करने पर 2,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। इस योजना के तहत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रियों, भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, महिलाओं सहित अन्य लोगों को छूट दी गई है।
उधर लोकसभा में यह मुद्दा राजद से निष्कासित राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने उठाया और आरोप लगाया कि यह ऐसी योजना है जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने, आम लोगों, गृृहिणियों और स्कूली बच्चों को परेशान करने वाली है। शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए राजेश रंजन ने कहा कि इस योजना से केवल सीएनजी कपंनियों और कार व बस निर्माता कंपनियों को फायदा होगा और प्रदूषण रोकने में इससे कोई मदद नहीं मिलने वाली है।
उन्होंने आइआइटी के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि कुल प्रदूषण में छोटे वाहनों का हिस्सा केवल पांच फीसद है और शेष 95 फीसद कारकों पर चर्चा करने के बदले एक छोटे से हिस्से पर बवंडर खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आम लोगों ने वोट देकर सरकार बनाई और यह मध्यम वर्ग के लोगों, गृहिणियों, स्कूली बच्चों को परेशान करने का काम कर रही है। यह ऐसी पहल है जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली है। इस मामले की जांच की जानी चाहिए कि इससे सीएनजी और कार कंपनियों को किस तरह से फायदा पहुंचाया जा रहा है। आप सदस्य भगवंत मान ने इसका विरोध किया। संसद सत्र शुरू होने से पहले सर्वदलीय बैठक में भी कुछ सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया था और लोकसभाध्यक्ष से इस विषय पर राहत मांगी थी।