दिल्ली के चिड़ियाघर ने लगभग 30 सालों बाद जू के केयरटेकर की बड़े पैमाने पर भर्ती करने का फैसला किया है। चिड़ियाघर की देखरेख करने वाले यह केयरटेकर जानवरों के साथ सीधे संपर्क करेंगे और व्यवहार पर नजर रखते हुए जानवरों की देखभाल करेंगे। 2003 तक इसके लिए माध्यमिक विद्यालय प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती थी। फिलहाल एक जू केयरटेकर की शैक्षणिक योग्यता केवल बारहवीं कक्षा पास है।

चिड़ियाघर केयरटेकर किसी भी पशु पार्क में अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी होते हैं। यह आश्चर्य की बात है कि देश के सबसे बड़े चिड़ियाघरों में से एक दिल्ली जू ने पिछले 30 सालों से किसी को भी भर्ती नहीं किया था। ऐसे में यह अच्छी खबर है कि अब जू केयरटेकर की भर्ती की जा रही है। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि इतने सारे स्नातकोत्तरों ने इस पद के लिए आवेदन किया है। यह शिक्षित लोगों के बीच नौकरियों के लिए बेताबी और सरकारी नौकरी से मिलने वाली सुरक्षा की भावना को दिखाता है।

अप्लाई करने वालों में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट

TOI की खबर के मुताबिक, इस पोस्ट के लिए अंग्रेजी, गणित, भौतिकी, माइक्रो इकोनॉमिक्स, प्रशासन, रसायन विज्ञान, भूगोल और इनवायरमेंट मैनेजमेंट में इंजीनियर और स्नातकोत्तर और स्नातक बैठे थे। उनमें से किसी ने भी जानवरों से जुड़े करियर की कल्पना नहीं की थी।

राहुल यादव नाम के एक आवेदक ने कहा कि वह जानवरों के बारे में सीखने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। उन्होंने 2020 में जयपुर के मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से मैटेलर्जी और मैटेरियल में डिग्री हासिल की थी। लेकिन वह यहां दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में जू केयरटेकर के रूप में काम करेंगे।

भौतिक विज्ञान में ऑनर्स के साथ पटना से विज्ञान स्नातक विशाल कुमार ने भी चिड़ियाघर में नौकरी करने की योजना नहीं बनाई थी। वह सिविल सेवा परीक्षा में बैठना चाहते थे लेकिन जीवन में शुरुआत करने के लिए कम चुनौतीपूर्ण एसएससी-एमटीएस में बैठे। कुमार ने कहा, “मैंने कभी जंगली जानवर नहीं देखे थे या वन्य जीवन का कोई अनुभव नहीं था। अब तक प्रशिक्षण दिलचस्प रहा है।” मृग को देखना सोमा मंडल के लिए नई संभावनाओं की शुरुआत थी, जिनकी शिक्षा अब तक अंग्रेजी साहित्य पर केंद्रित थी। पश्चिम बंगाल की लड़की मृग बाड़े में कैरियर की बारीकियों को समझने के लिए छोटे-छोटे कदम उठा रही थी, जहां वह प्रत्येक जानवर के व्यवहार का विश्लेषण और व्याख्या करेगी।

तकनीक-प्रेमी युवा इन पदों को गंभीरता से लेंगे

चिड़ियाघर प्रशासन को उम्मीद है कि सुशिक्षित, तकनीक-प्रेमी युवा पुरुष और महिलाएं इस उम्मीद पर खरे उतरेंगे कि वे वन्यजीव संरक्षण के मुद्दे को अपनाएंगे। डॉ. मनोज ने कहा, “अमेरिका और सिंगापुर जैसे विकसित देशों में चिड़ियाघर संचालक अत्यधिक योग्य हैं। वे थीसिस लिखते हैं, प्रजाति विशेषज्ञ हैं यहां तक ​​कि अपने डॉक्टरेट अध्ययन के लिए रिसर्च भी करते हैं। अब समय आ गया है कि हम भी इन पदों को उतनी ही गंभीरता से लेना शुरू करें।”