यमुना नदी के जलस्तर में गिरावट के साथ ही यमुना बाजार व निगमबोघ घाट सहित यमुना के घाटों पर चढ़ा पानी अब धीरे-धीरे उतरने लगा है। यमुना के इन 32 घाटों की बिजली आपूर्ति भी बुधवार देर रात को सुचारू रूप से शुरू कर दी गई है। यहां रहने वाले लोगों ने गुरुवार सुबह से ही अपने घरों की सफाई का काम शुरू कर तो दिया है लेकिन अब उन्हें पानी उतरने के बाद होने वाली परेशानी ने त्रस्त कर दिया है। कीचड़, बालू के साथ ही सांप-बिच्छू व मच्छरों के आतंक का डर उन्हें सता रहा है।

वहीं दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने अभी तक मच्छरों की दवा का भी छिड़काव करवाना शुरू नहीं किया है, जिससे मच्छरजनित रोग बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। बता दें कि इन घाटों पर जहां पूजा-पाठ होता था, वहां तक बालू भरी हुई है। लोगों के घरों में कीचड़ भरा हुआ है, जिसे लोग लगातार साफ करने में लगे हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या यहां सीवर व नालियों का जाम होना व गंदे पेयजल की आपूर्ति होना भी है।

सीवर व नालियों में भरी हुई बालू व कीचड़ तो नगर निकाय ही साफ कर सकते हैं

यमुना घाट पंडा एसोसिएशन के खजांची सुनील शर्मा ने बताया कि यमुना नदी से लेकर घाट की दीवार तक 50 मीटर के दायरे में तीन विभाग दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), बाढ़ नियंत्रण विभाग व दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की जिम्मेदारी है। लेकिन सभी अपने काम करने से टाल-मटोल करते दिख रहे हैं। हमने स्थानीय विधायक प्रह्लाद सिंह साहनी को भी अपनी समस्याओं से अवगत करवाया है लेकिन पानी उतरने के बावजूद सफाई का काम प्रशासन द्वारा चालू नहीं किया गया।

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लोग खुद सफाई कर रहे हैं लेकिन सीवर व नालियों में भरी हुई बालू व कीचड़ तो नगर निकाय ही साफ कर सकते हैं। घाट मालिकों को कोई पूछने वाला नहीं है, गनीमत यह रही कि यमुना का बढ़ता जलस्तर देखते हुए हमने पहले ही छतों पर घर का सारा सामान ले जाकर उन्हें बड़ी-बड़ी पन्नियों से ढंक दिया था। दो दिन से लगातार सांप निकल रहे हैं, लोगों का डर सता रहा है कि कहीं कोई अप्रिय घटना ना घटे क्योंकि सभी घरों में छोटे बच्चे व बुजुर्ग हैं। इसकी जानकारी जब मुख्यमंत्री आईं थीं तो उन्हें भी दे दी गई थी लेकिन काम शुरू नहीं हुआ। वहीं यमुना बाजार निवासी अभिनंदन यादव ने कहा कि पूरे इलाके में कीचड़ तो भरा ही हुआ है। लेकिन अब इस इलाके में पीने के पानी की काफी किल्लत हो गई है।

बाढ़ के बाद से ही पेयजल गंदा आ रहा है, जिसके चलते खरीद कर पानी पीना पड़ रहा है। हालांकि एसडीएम द्वारा बीते कुछ दिनों तक खाने-पीने की व्यवस्था तो की गई थी और पुनर्वास के लिए अस्थायी टेंट भी लगवाया गया था। लेकिन इन टेंटों से अब लोग अपने घर की तरफ लौट रहे हैं। लेकिन इलाके में मच्छर बहुत हैं और दवा का छिड़काव बेहद जरूरी है। प्रशासन को चाहिए की इस ओर ध्यान दे वरना जलजनित व मच्छरजनित रोगों का खतरा बढ़ जाएगा। यहां रहने वाली सुमन ने बताया कि घर में कीचड़ भरने की वजह से वो अपने बच्चों को बुधवार शाम से खाना बनाकर नहीं खिला पाईं हैं। उनके घर का सामान अभी भी सड़क किनारे रखा हुआ है क्योंकि जब तक घर साफ नहीं होगा वो कैसे उसे रख पाएंगी। सबसे बड़ी परेशानी बच्चों की स्कूल से छुट्टी है।