दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास को लेकर तैयार की जा रही ‘दिल्ली स्लम एवं झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास नीति 2025’ पर काम तेज हो गया है, लेकिन दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (ड्यूसिब) के पास 2015 के बाद बसी जेजे बस्तियों का कोई सटीक आंकड़ा नहीं है।
नीति के मसविदे पर हुई हालिया समीक्षा बैठक में यह अहम खामी सामने आई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर दिल्ली सरकार ने मसविदा नीति तैयार की है, लेकिन चर्चा में पता चला कि 2015 के बाद बनी झुग्गी बस्तियों और उनके संभावित लाभार्थियों की जानकारी अधूरी है। इसके बाद ड्यूसिब को तीन माह के भीतर सभी मौजूदा जेजे क्लस्टर्स और वहां रह रहे पात्र-अपात्र लोगों का विस्तृत सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है। ड्यूसिब सीईओ की तरफ से दिल्ली स्लम और झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास एवं पुनर्वास नीति, 2025 के मसविदे में शामिल उन सभी प्रावधानों से अवगत कराया है जिसको लेकर पिछली बैठक में भी चर्चा की गई थी।
पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई थी बैठक
दिल्ली सरकार को निर्देश दिए गए कि ड्यूसिब ने आखिरी बार जेजे बस्तियों के आवास का जो सर्वेक्षण किया था, उसका विवरण प्रस्तुत किया जाए। साथ ही मौजूदा झुग्गी बस्तियों और उसके आवास के साथ रहने वालों का भी एक डेटा तैयार किया जाए। इसमें उन सभी लोगों को विवरण भी शामिल किया जाए जो पात्र और अपात्र दोनों हों। सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में ड्यूसिब के अधिकारियों ने प्रस्तुति दी।
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बैठक में यह भी तय हुआ कि ड्यूसिब एक विस्तृत नोट तैयार करेगा, जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि कैसे 2015 के बाद के लाभार्थियों को नई नीति में शामिल किया जाएगा और इसके लिए क्या-क्या विधायी बदलाव आवश्यक होंगे। ड्यूसिब को पुराने सर्वेक्षण की जानकारी भी मंत्रालय को सौंपनी होगी, ताकि मौजूदा और नए लाभार्थियों की तुलना की जा सके। यह भी स्पष्ट किया गया कि सिर्फ पात्र ही नहीं, बल्कि अपात्र लोगों का भी डेटा एकत्र किया जाएगा, जिससे निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके।
वर्ष 2015 के बाद बसी जेजे बस्तियों का नहीं है आंकड़ा
नीति के मसविदे में पुनर्वास के चार माडल प्रस्तावित किए गए हैं, लेकिन उनकी विशेषताओं को और स्पष्ट करने की जरूरत बताई गई है। साथ ही, 0-3 किमी वाले पुनर्वास मानदंडों में छूट को लेकर भी नए सुझावों पर विचार किया जा रहा है। यदि जेजे क्लस्टर केंद्र सरकार या डीडीए की भूमि पर स्थित हैं तो निर्णय डीडीए लेगा, जबकि दिल्ली सरकार या निजी भूमि पर बसे क्लस्टर्स के मामले में निर्णय का अधिकार ड्यूसिब को होगा।
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ड्यूसिब सीईओ की तरफ से दिल्ली स्लम और झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास एवं पुनर्वास नीति, 2025 के मसविदे में शामिल उन सभी प्रावधानों से अवगत कराया है जिसको लेकर पिछली बैठक में भी चर्चा की गई थी। दिल्ली सरकार को निर्देश दिए गए कि ड्यूसिब ने आखिरी बार जेजे बस्तियों के आवास का जो सर्वेक्षण किया था, उसका विवरण प्रस्तुत किया जाए।