Delhi News: दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय (डीएसईयू) द्वारा अपने तीन परिसरों में बीटेक पाठ्यक्रम बंद करने का निर्णय लेने को लेकर सियासत जारी है। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार पर विश्वविद्यालय में “बड़े पैमाने पर भर्ती घोटाले” का आरोप लगाया है।
बीजेपी नेता इस मामले को लेकर खराब बुनियादी ढांचे, अपर्याप्त शिक्षण स्टाफ और विश्वविद्यालय के आरोप शामिल थे। बीजेपी नेता ने यह भी आरोप लगाया कि 2024-2025 शैक्षणिक सत्र में कई पाठ्यक्रमों के लिए कोई भी छात्र नहीं है। दिल्ली सरकार ने पलटवार करते हुए बीजेपी पर “छात्रों के जीवन के प्रति लापरवाही” का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि भाजपा शासित कुछ राज्यों में “शिक्षा में भयावह कुप्रबंधन” है।
BJP शासित राज्यों पर AAP का हमला
आम आदमी पार्टी द्वारा जारी बयान के बयान के अनुसार, दिल्ली सरकार अपने वार्षिक बजट का 24% शिक्षा के लिए समर्पित करती है, जबकि उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , गुजरात और हरियाणा जैसे भाजपा शासित राज्य (शिक्षा के लिए) कम महत्व देकर शर्मनाक रुख दिखाते हैं।
छात्रों की गैरमौजूदगी बनी बड़ी वजह
UG कार्यक्रम: डीएसईयू के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इस शैक्षणिक सत्र में विश्वविद्यालय द्वारा पेश किए गए 21 स्नातक कार्यक्रमों में से 17 में 50% से अधिक सीटें खाली रहीं। बीएस डिजिटल मार्केटिंग और डेटा एनालिटिक्स, बीएस मेडिकल लेबोरेटरी साइंसेज, बीएस डिजिटल मीडिया डिज़ाइन और बीए (ऑनर्स) फाइन आर्ट्स एकमात्र यूजी कार्यक्रम थे जहाँ नामांकन 50% से अधिक था।
डिप्लोमा कार्यक्रम: सूत्रों के अनुसार, पिछले वर्षों के आंकड़ों की तुलना में इस वर्ष DASEU को अपने विभिन्न डिप्लोमा कार्यक्रमों के लिए आवेदनों के लिए अब तक का सबसे कम प्रतिसाद मिला है। विश्वविद्यालय को 2024-25 में डिप्लोमा कार्यक्रमों के लिए लगभग 9,500 आवेदन प्राप्त हुए हैं। एक आरटीआई अनुरोध से पता चला है कि 2023-24 में 13,518 आवेदन प्राप्त हुए थे। जिन पाठ्यक्रमों में सीटें लगभग भर चुकी हैं।
विवाद के बीच क्या बोले कुलपति
इस पर कुलपति डॉ. अशोक कुमार नागावत ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि अन्य स्थानों पर इसे (टूल इंजीनियरिंग) प्रेसिजन इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है। ओडिशा सरकार ने इसे बहुत महत्व दिया और मांग को देखते हुए हमने भी यही किया, लेकिन दुर्भाग्य से हम पर्याप्त सीटें नहीं भर पाए। मेरा मानना है कि यह विज्ञापन और प्रचार की कमी और निहित स्वार्थ वाले कुछ लोगों द्वारा नकारात्मक प्रचार के कारण हुआ है।
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एक बड़ा सवाल यह है कि कोर्सेज में फीस बढ़ने के चलते क्या छात्र कम हुए हैं? इसको लेकर कुलपति ने बताया कि आर्किटेक्चर और फार्मेसी कार्यक्रमों में अच्छे नामांकन हुए हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बीटेक, आर्किटेक्चर में डिप्लोमा और कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में बीटेक के लिए प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक थी। यह पूरे भारत में एक सामान्य प्रवृत्ति है। कुलपति ने कहा कि छात्रों की भागीदारी बढ़ाने के लिए, प्रशासन पूर्व छात्रों को प्रचार अभियान में भाग लेने के लिए आमंत्रित करने पर विचार कर रहा है।
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय जनवरी में बंद कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि हम कुछ भी नहीं छिपा रहे हैं। हमने कोशिश की और हम असफल रहे। हमारी पहली प्राथमिकता यह है कि पाठ्यक्रम ठीक से चलें। जनवरी में फिर से, हम इसे आजमाएंगे।
