दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। यह बात खुद जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कौशल राज शर्मा की विधायकों के साथ हुई हालिया बैठकों में सामने आई है।

इन बैठकों में विधायकों ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि मुख्य अभियंता से लेकर कनिष्ठ अभियंता तक उनकी समस्याओं पर कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से क्षेत्र में विधायकों की बहुत किरकिरी हो रही है। इतना ही नहीं जल बोर्ड अधिकारियों की तरफ से क्षेत्रीय दौरा तक नहीं किया जाता है। इन सबको गंभीरता से लेते हुए अब सीईओ की ओर से सभी अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है और सभी मामलों का निपटारा दैनिक आधार पर करने का आदेश दिया है।

सभी शिकायतों को सीईओ ने गंभीरता से लिया

गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली बोर्ड के जेई-एई ही नहीं बल्कि अधिशासी अभियंता से लेकर अधीक्षण अभियंता और मुख्य अभियंता स्तर के सभी अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर जनप्रतिनिधि काफी नाराज हैं। इसकी शिकायतें विधायकों ने जल बोर्ड के सीईओ कौशल राज शर्मा से पिछले दिनों हुई बैठकों में खुलकर की। इन सभी शिकायतों को सीईओ ने गंभीरता से लिया है। सीईओ ने सभी स्तर के संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया है कि अगर दिशा निर्देशों का सख्ती से अनुपालन नहीं किया गया तो उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।

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वहीं, एक अधिशासी अभियंता (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर) जिसके पास अमूमन दो विधानसभाओं की जिम्मेदारी है, वह भी केंद्रीय शिकायत कक्ष 1916 और विधायकों व अन्य माध्यमों से मिलने वाली शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंता इन शिकायतों का ब्यौरा तक नहीं रख पा रहे हैं।

जनप्रतिनिधियों को कोई जवाब नहीं दे रहे अधिकारी

अधिकारी जनप्रतिनिधियों को कोई जवाब तक इन सब मामलों में नहीं दे रहे हैं। उनकी तरफ से कोई अल्प, मध्यम और दीर्घकालिक समस्या समाधान के लिए भी कोई कार्ययोजना तैयार नहीं है। अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता और इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मंडल इन मामलों में लापरवाही बरत रहे हैं।

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इस दौरान यह भी मामला सामने आया है कि वरिष्ठतम अधिकारी मुख्य अभियंता तक जनप्रतिनिधियों की इन शिकायतों के समाधान को लेकर दैनिक आधार पर समीक्षा बैठक तक नहीं कर रहे हैं। इस तरह की बैठक के जरिए ही अधीक्षण अभियंता (ईएंडएम) और अधिशासी अभियंता (ईएंडएम) डिविजन की शिकायतों की स्थिति का पता लगाया जा सकता। बावजूद इसके यह अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजाय मातहत स्टाफ पर ही अधिकतर मामलों को टालते आ रहे हैं।