Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में मायापुरी चौक स्थित 55 साल पुराने काली माता मंदिर को तोड़े जाने के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक धार्मिक समिति की सिफारिशों पर ध्यान दिया। जिसमें कहा गया था कि मंदिर के ढांचे को हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह अनधिकृत है और यातायात को बाधित कर रहा है।
न्यायमूर्ति प्रतिबा सिंह की एकल न्यायाधीश की पीठ 11 मई को मायापुरी चौक स्थित काली माता मंदिर के पुजारी और कार्यवाहक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस सिंह ने मंदिर के पुजारी और देखभाल करने वाले को एक सप्ताह के भीतर मंदिर में मूर्तियों और अन्य धार्मिक चीजों को हटाने की अनुमति दी है। कोर्ट ने आदेश दिया कि लोक निर्माण विभाग 20 मई के बाद अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए स्वतंत्र है।
याचिकाकर्ता की अपील को हाई कोर्ट ने किया खारिज
जस्टिस ने कहा कि इसको लेकर याचिकाकर्ता या उनकी तरफ से कोई भी व्यवधान पैदा नहीं करेगा। हाई कोर्ट ने आदेश का पालन करने में पुलिस से कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पूरी सहायता प्रदान करने के लिए कहा है। कोर्ट का आदेश दुर्गा पी मिश्रा की याचिका को खारिज करने के दौरान आया। उन्होंने कहा कि हालांकि मंदिर सार्वजनिक भूमि पर है, लेकिन यह क्षेत्र में यातायात को प्रभावित नहीं करता है। उन्होंने कहा कि मंदिर के पीछे शॉपिंग एरिया में खड़े वाहनों के कारण यातायात प्रभावित होता है।
कोर्ट ने कहा कि स्केच और क्षेत्र की तस्वीरों से स्पष्ट होता है कि मंदिर सरकारी भूमि पर था। हकीकत में, पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ के साथ-साथ सड़क पर भी मंदिर द्वारा अतिक्रमण किया गया है जो कि अनुमति योग्य नहीं है। इससे यातायात प्रभावित होता है।
एक सप्ताह में मंदिर से मूर्तियां हटाने का निर्देश
कोर्ट ने धार्मिक समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए कहा कि मंदिर का ढांचा अनधिकृत है और मुख्य सड़क पर स्थित है”। अदालत ने कहा, “यह यातायात बाधित कर रहा है। कोर्ट ने आदेश दिया कि अनधिकृत धार्मिक ढांचे को हटा देना चाहिए। कोर्ट ने पुजारी को धार्मिक समिति के निर्देशानुसार एक सप्ताह के भीतर मंदिर से मूर्तियों और अन्य धार्मिक वस्तुओं को हटाने के लिए कहा है, ताकि उन्हें अन्य मंदिरों में रखा जा सके।
20 मई के बाद PWD शुरू कर सकता है कार्रवाई
याचिका का निस्तारण करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पीडब्ल्यूडी 20 मई के बाद विध्वंस करने और अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ओर से या किसी भी व्यक्ति द्वारा कोई बाधा उत्पन्न नहीं की जाएगी। कोर्ट ने स्थानीय पुलिस को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रक्रिया में पूरी सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया।