दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन की ओर से जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार एवं अन्य के खिलाफ जारी किए गए अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश पर शुक्रवार (13 मई) को रोक लगा दी। हालांकि यह आदेश जेएनयू के छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य पर तब तक लागू नहीं होगा जब तक वे याचिका दायर कर ये नहीं कहते कि एक उच्च-स्तरीय जांच समिति की सिफारिशों के आधार पर जेएनयू प्रशासन की ओर से किए गए निर्णय के खिलाफ वे अपील कर रहे हैं। उमर और अनिर्बान ने अपने निष्कासन को चुनौती दी है। कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन की ओर से पेश हुए वकील से कहा, आपको छात्रों के साथ थोड़ा तर्कसंगत ढंग से तालमेल बिठाना चाहिए। हालात को समझें और उनसे बात करें।
कन्हैया और कुछ अन्य छात्रों ने अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने कहा कि छात्रों की अपील पर अपीलीय प्राधिकरण की ओर से फैसला किए जाने तक अनुशासनिक कार्रवाई के निर्णय पर रोक लगाई जाती है। न्यायमूर्ति मनमोहन ने यह निर्देश तब दिया जब जेएनयू छात्रसंघ ने हलफनामा देकर कहा कि उसके सदस्य अपनी भूख हड़ताल तुरंत खत्म करेंगे और कोई अन्य प्रदर्शन नहीं करेंगे। अदालत ने आदेश में कहा कि जब तक छात्रों की अपील पर सुनवाई और अंतिम फैसला नहीं हो जाता (25 अप्रैल का) आदेश प्रभावी नहीं होगा। यदि याचिकाकर्ताओं की अपील खारिज कर दी जाती है तो अपीलीय आदेश दो हफ्ते तक प्रभावी नहीं माना जाएगा। अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि यह संरक्षण सशर्त है कि जेएनयू छात्र संघ अपने इस हलफनामे का पालन करेगा कि वह अभी चल रही अपनी हड़ताल तुरंत वापस लेगा और आगे कोई धरना, प्रदर्शन या हड़ताल नहीं करेगा। हाई कोर्ट ने छात्रों से यह भी कहा कि वे नरमी लाएं, क्योंकि मामला अभी बहुत गर्म है।
जज ने यह बात तब कही जब छात्रों के वकीलों ने दावा किया कि यदि भविष्य में कुछ और हो जाता है तो किसी तरह के प्रदर्शन की इजाजत देनी चाहिए। इसके बाद न्यायालय ने उन्हें संबंधित अधिकारियों के समक्ष शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञापन देने की आजादी दी और यूनिवर्सिटी प्रशासन से कहा कि वह तार्किक बने और हालात को समझे। जब अदालत ने छात्रों के वकीलों से कहा कि वे हलफनामा दाखिल कर कहें कि भविष्य में जेएनयू परिसर में कोई प्रदर्शन नहीं होगा, तो वकीलों ने कहा कि कुछ दूसरे संगठन हो सकते हैं जो किसी तरह की शरारत करें। इस पर अदालत ने कहा, वे कन्हैया जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष हैं और उनके पास छात्रों का समर्थन है। यदि वह कहते हैं कि कोई हड़ताल नहीं होनी चाहिए तो कोई हड़ताल नहीं होगी। वह काफी स्पष्ट तरीके से बोलते हैं और उन्हें दृढ़ता दिखानी होगी। अदालत ने कहा, जेएनयू एक सामान्य जगह होनी चाहिए जहां कोई पत्रकार न मंडराए। उन्हें (छात्रों को) पढ़ने दें।
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार से छात्रों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को तत्काल खत्म करने के लिए कहा है। अदालत ने कहा कि वे विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी रिट याचिकाओं पर तभी सुनवाई करेगा, जब वे आंदोलन खत्म करेंगे। न्यायाधीश मनमोहन ने कहा कि आप (कन्हैया) पिछले 16 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को आंदोलन खत्म करने के लिए साफ तौर पर कह सकते हैं और विश्वविद्यालय को ठीक ढंग से काम करने दे सकते हैं। अदालत ने वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन से कन्हैया को यह कहने के लिए कहा कि वे छात्रों से हड़ताल खत्म करने को कहे। विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती देने वाली कन्हैया कुमार और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करने के दौरान अदालत ने ये निर्देश दिए।
कन्हैया, अश्वती ए नायर, ऐश्वर्या अधिकारी, कोमल मोहिते, चिंटू कुमारी, अनवेशा चक्रवर्ती और दो अन्य ने उनके खिलाफ जारी किए गए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौती दी थी। उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य ने इस सप्ताह उनकी बर्खास्तगी के खिलाफ अदालत का रुख किया था। उमर पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अनिर्बान को जेएनयू परिसर में 23 जुलाई से लेकर पांच साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इस साल नौ फरवरी को आयोजित हुए विवादास्पद समारोह के चलते कन्हैया, अनिर्बान और उमर पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया था। इन पर विश्वविद्यालय ने 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। नौ फरवरी को जेएनयू में हुए इस विवादित समारोह के संबंध में उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर इन तीनों और कुछ अन्य छात्रों के खिलाफ अलग-अलग कार्रवाई की गई थीं। इनमें बर्खास्तगी से लेकर, विश्वविद्यालय में आने पर प्रतिबंध और जुर्माना आदि शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने अदालत का रुख करके विश्वविद्यालय की ओर से इन पर लगाए गए जुर्मानों को चुनौती दी है। इसके साथ ही इन्होंने दो छात्रों से हॉस्टल सुविधाएं वापस लिए जाने को भी चुनौती दी है। इन दो छात्रों में से एक लड़की है।
वहीं दूसरी ओर पिछले 16 दिन से बेमियादी भूख हड़ताल कर रहे जेएनयू के छात्रों ने शुक्रवार (13 मई) को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद अपना अनशन खत्म कर दिया। जेएनयू छात्र संघ उपाध्यक्ष शहला रशीद शोरा ने बताया, ‘अदालत के आदेश के बाद, हमने हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया है लेकिन जब तक कुलपति सजा को रद्द नहीं करते हैं हमारी लड़ाई जारी रहेगी।’ उन्होंने कहा, ‘हमने प्रशासन के समक्ष अपनी मांगों को उठाया है। उनसे बाचतीत चाहते हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण हमें अदालत जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।’

