दिल्ली हाई कोर्ट ने आप सरकार से यह साफ करने को कहा कि महिलाओं और दोपहिया चालकों को शुक्रवार से प्रभावी होने वाली सम विषम योजना से छूट क्यों दी गई है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और सुनील गौड़ के पीठ ने कहा, ‘ऐसी छूट क्यों जरूरी है, इसका निर्देश लें।’ इसके साथ ही पीठ ने दिल्ली सरकार को एक जनवरी से 15 दिनों के लिए शुरू होने वाली योजना के दौरान चलने वाले वाहनों और प्रदूषण के स्तर के संबंध में आंकड़ें सौंपने को भी कहा।

 

इन्‍हें है छूट: सम विषम योजना से राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश, केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को छूट दी गई है। इसमें दिल्ली के मुख्‍यमंत्री शामिल नहीं हैं। महिला चालकों के अलावा, सीएनजी प्रमाणित वाहनों, वीआइपी, दोपहिया, एम्बुलेंस, रक्षा वाहनों और दूतावास वाहनों को भी योजना से बाहर रखा गया है।

अदालत ने दिल्ली निवासी करुणा चटवाल की याचिका पर कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया जिन्होंने महिला कार चालकों और दोपहिया वाहन चालकों की आवाजाही को नियंत्रित करने का निर्देश देने की अपील की गई है। अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया और उससे चटवाल की याचिका पर तीन दिन के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।  दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली शिक्षा विभाग को भी नोटिस जारी कर दिया। नोटिस में उस याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया गया है जिसमें उसने निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को एक जनवरी से 15 जनवरी तक सम-विषम योजना लागू रहने के दौरान अपनी बसों को सार्वजनिक परिवहन के तौर पर चलाने के लिए उपलब्ध कराने के लिए कहा था।

 

 

न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने अलबत्ता शिक्षा विभाग के निर्देश के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया। खासकर आप सरकार के इस कथन के बाद कि उन स्कूलों के खिलाफ कोई भी दबाव वाले कदम नहीं उठाए जाएंगे जो योजना के लिए बस नहीं देंगे। अदालत ने नोटिस का जबाब 14 जनवरी को सुनवाई की अगली तारीख तक देने का निर्देश दिया है। दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने अदालत से कहा कि कई निजी गैर सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों ने स्वेच्छा से 1700 बसें प्रदान की हैं।

वकीलों को सम विषम योजना से छूट देने की अधिवक्ता राहुल अग्रवाल की याचिका पर पीठ ने कहा कि यदि उसने उनको अपने वाहनों का इस्तेमाल करने की छूट दी तो इस अदालत में डाक्टरों और अन्य अधिकारियों की ओर से याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी जिन्हें छूट प्राप्त 25 श्रेणियों में शामिल नहीं किया गया है। अदालत ने अधिवक्ता मनोज कुमार द्वारा गुंजन खन्ना के साथ संयुक्त रूप से दाखिल याचिका पर भी दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। नोएडा से आने वाले याचिकाकर्ता गुंजन खन्ना ने राजधानी में प्रदूषण को नियंत्रित करने संबंधी 28 दिसंबर की सम विषम योजना संबंधी अधिसूचना को चुनौती दी है।

अदालत ने मामले में तीन याचिकाओं पर आगे सुनवाई के लिए छह जनवरी की तारीख तय की है। अदालत विभिन्न लोगों द्वारा आप सरकार की योजना के खिलाफ दायर चार अन्य याचिकाओं पर उसी दिन सुनवाई करेगी।

 

सम-विषम फार्मूला दिल्‍ली की केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण को कम करने के मकसद से ट्रायल के तौर पर 1 से 15 जनवरी तक के‍ लिए लागू किया है। इसके तहत ऑड तारीखों को ऑड नंबर वाली गाड़‍ियां और इवन (सम) तारीखों को इवन नंबर वाली गाड़‍ियां ही दिल्‍ली की सड़कों पर चलेंगी। इस योजना से जुड़ी तमाम खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें