दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए 11 नवंबर को कक्षा पांच तक के बच्चों के लिए हाइब्रिड मोड (आनलाइन और आफलाइन दोनों विकल्प) में पढ़ाई करने का निर्देश दिया था।

इसका उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा करना और प्रदूषण को कम करना था। लेकिन ऐसा लगता है कि इस आदेश का वास्तविक प्रभाव सीमित रहा। आदेश वैकल्पिक था, यानी बच्चे स्कूल आ सकते थे या आनलाइन पढ़ाई कर सकते थे। इसके कारण अधिकांश स्कूलों ने इसे कड़ाई से लागू नहीं किया। अभिभावकों ने बताया कि ज्यादातर स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक के बच्चे वैसे ही स्कूल आ रहे हैं जैसे 11 नवंबर से पहले आ रहे थे यह कदम केंद्र सरकार द्वारा लागू तीसरे चरण के प्रतिबंध के बाद उठाया गया था।

आनलाइन पढ़ाई है बेहतर विकल्प

यूनाइटेड पेरेंट्स वाइस के संस्थापक निदेशक महेश मिश्र ने कहा कि सैकड़ों अभिभावक चाहते हैं कि ऐसे आदेश वैकल्पिक नहीं, अनिवार्य होने चाहिए। तभी इसके उद्देश्य पूरे हो सकते हैं। वर्तमान में न तो प्रदूषण कम हुआ और न ही बच्चों का स्वास्थ्य पूरी तरह सुरक्षित रह सका। पीक आवर में हजारों वाहन सड़क पर थे, जिससे प्रदूषण कम नहीं हुआ।

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आनलाइन पढ़ाई बच्चों की सेहत की सुरक्षा के साथ-साथ तत्काल प्रदूषण कम करने का उपाय भी है। दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि अब सरकार को आदेश जारी करने की जरूरत है। उनका कहना है कि जो बच्चे सांस और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त हैं, उनके लिए दिल्ली की हवा गंभीर खतरे के स्तर पर पहुंच चुकी है।