खाली पड़े गोदाम के नाम पर रिहाइशी इलाके को सील करने का मामला सामने आया है। उत्तरी निगम के केशवपुरम जोन में करीब 50 रिहाइशी मकानों को गोदाम और अन्य व्यावसायिक इकाइयों के नाम पर सील कर दिया गया। चिह्नित करने के लिए सुतली बांधकर खाली मकान की दीवार को भी सीलिंग में शामिल किया गया। जबकि सील हो चुके मकानों में लोगों का रहना भी जारी है। यहां के पीड़ितों का कहना है कि निगम के नोटिस का जबाब देने और गोदाम खाली करने के बाद भी निगम अधिकारियों ने रिहाइशी इलाके के मकानों को सील कर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी समिति के सामने वाहवाही लूटने का काम किया है। सील किए गए कई मकानों में तो 20-25 साल से व्यावसायिक कार्य हो ही नहीं रहे थे। त्रिनगर की निगम पार्षद मंजू संजय शर्मा का कहना है कि कुछ रिहाइशी मकानों और जय माता मार्केट इलाके के गोदामों को निगम से नोटिस मिलने के बाद खाली कर दिया था और भविष्य में व्यावसायिक गतिविधियां नहीं चलाने का हलफनामा भी मकान मालिक ने दे दिया। इसके बावजूद सील करना गलत है।

स्थानीय लोगों ने केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद डॉ हर्षवर्धन, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी, मेयर आदेश गुप्ता और निगम आयुक्त वर्षा जोशी से सील खोलने की मांग की है। पर अभी तक इस दिशा में कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। बता दें कि एमसी मेहता बनाम भारत सरकार के निर्देश में सीलिंग पर साफ कहा गया कि रिहाइसी मकानों में व्यावसायिक गतिविधियां चलाने वाले यदि 48 घंटे के अंदर खाली करने या फिर 48 घंटे की मोहलत का हलफनाम दे दें तो ऐसे में उस संपत्ति की सीलिंग नहीं हो सकती है।

बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट से गठित निगरानी समिति और निगम के अधिकारियों ने कुछ समय पहले केशवपुरम जोन का सर्वे किया और फिर सर्वे के बाद नोटिस दिया। मकान मालिकों ने नोटिस के बाद अपने-अपने मकान से व्यावसायिक गतिविधि बंद कर दी और खोले गए गोदाम को खाली कर दिया बाबजूद निगम की सीलिंग दस्ते ने इन्हीं मकानों को सील कर दिया। जबकि तत्कालीन निगम आयुक्त मधुप व्यास ने भी चार दिंसबर 2018 को इस बाबत आदेश पारित कर दिया था कि निगरानी समिति के निर्देशानुसार 48 घंटे के मोहलत और हलफनामे को सीलिंग से पहले ध्यान में रखा जाए।

खाली मकानों में बिजली बिल भी नहीं आ रहे: गली नंबर-पांच में रहने वाले कृष्ण गुप्ता, प्रवीण कुमार और गली नंबर-दो में रहने वाले राजन मित्तल का कहना है कि जब लोगों ने हलफनामा दे दिया और व्यावसायिक बिजली-पानी की लाइन काट दी गई तो सीलिंग का क्या मतलब? इन मकानों के बिजली बिल भी नहीं आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि आखिर खाली मकानों को अधिकारी क्यों सील कर रहे हैं।

पार्षद बोलीं: त्रिनगर की निगम पार्षद मंजू संजय शर्मा का कहना है कि करीब 50 मकानों को सील किया गया है जिसमें पहले कभी गोदाम थे लेकिन इस समय वह या तो रिहाईस में इस्तेमाल हो रहा है या फिर फिर खाली हैं। निगम कानूनी औपचारिकता पूरी कर इन मकानों की सील खोल दे तो स्थानीय लोगों को राहत मिलेगी।

उपायुक्त का बयान: केशवपुरम जोन के उपायुक्त पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि सीलिंग निगरानी समिति के निर्देश पर हुई है। अगर स्थानीय लोगों की इस बाबत कोई शिकायत है तो वे खोलने के लिए आवेदन दें, उसे समिति के पास रखने के बाद कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।