राजधानी में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या दिल्ली नगर निगम और राज्य सरकार के लिए लंबे समय से चुनौती बनी हुई है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए आदेश के बाद नगर निगम और सरकार की ओर से इन कुत्तों के लिए आश्रय केंद्र बनाने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं।

जानकारों के अनुसार, दिल्ली में आवारा कुत्तों की सटीक संख्या का आकलन करने के लिए अंतिम सर्वेक्षण वर्ष 2009 में किया गया था। उस सर्वेक्षण के मुताबिक, राजधानी में उस समय करीब 5.6 लाख आवारा कुत्ते मौजूद थे। हालांकि, इसके बाद कोई विस्तृत और आधिकारिक सर्वेक्षण नहीं हुआ है। जानकारों का मानना है कि वर्तमान में यह संख्या दस लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है। इस गंभीर स्थिति के बावजूद नगर निगमों के पास न तो पर्याप्त संख्या में कर्मचारी हैं, न ही पशु चिकित्सकों और संसाधनों की उपलब्धता पर्याप्त है। इसके चलते कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी जैसे अभियान अधूरे रह जाते हैं।

दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या करीब दस लाख

दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने बुधवार को बताया कि 2009 में आवारा कुत्तों के लिए सर्वेक्षण किया गया था। उस वक्त करीब साढ़े पांच लाख आवारा कुत्ते थे। पिछले 15-16 वर्ष से सर्वेक्षण नहीं किया गया है। नारंग कहते हैं कि गैर सरकारी संगठनों की मानें तो इस वक्त दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या करीब दस लाख तक पहुंच गई है। इस वर्ष अब तक दिल्ली में कुत्तों के काटने के 26,000 मामले सामने आए हैं। 31 जुलाई तक राजधानी में रेबीज के 49 मामले सामने आए हैं। निगम और दिल्ली सरकार को गैर सरकारी संस्थानों और पशु प्रेमियों के साथ मिलकर कुत्तों के लिए आश्रय केंद्र बनाने चाहिए, जहां पर सही तरीके से कुत्तों की देखभाल हो सके।

झुग्गी-झोपड़ी वालों को जल्द ही सरकार देगी फ्लैट का तोहफा, दो चरणों में 50 हजार परिवारों को होंगे आवंटित

सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2022-23 में महज 59,076 कुत्तों का टीकाकरण/नसबंदी किया गया था। इसके अगले वर्ष 2023-24 में यह संख्या मामूली बढ़कर 79,959 हुई। वर्ष 2024-25 में अब तक 1,31,137 कुत्तों का टीकाकरण/नसबंदी किया गया। जो अपेक्षाकृत बेहतर प्रयास माना जा सकता है, लेकिन स्थिति अब भी नियंत्रण से बाहर है।