उच्चतम न्यायालय ने अनधिकृत निर्माणों और आवासीय परिसरों का वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए दुरूपयोग किये जाने का जिक्र करते हुए आज कहा कि भले ही आक्रांताओं ने सैंकड़ों सालों तक दिल्ली को लूटा लेकिन पिछले कुछ दशकों से उसके नागरिक और अधिकारी उसे लूट रहे हैं। न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि दिल्ली में कानून का शासन नहीं लागू हो पाने के पीढ़ीगत प्रभाव हैं जो विनाशकारी हो सकते हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘आक्रांतों ने दिल्ली को सैंकड़ों सालों तक लूटा है लेकिन पिछले कुछ दशकों से उसके अपने ही नागरिक और उस पर शासन करने वाले अधिकारी लूट रहे हैं। हमारा मतलब अनधिकृत निर्माणों एवं आवासीय परिसरों का औद्योगिक एवं अन्य वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल से है। ’’ न्यायालय ने इस बात पर अफसोस प्रकट किया कि उसके निर्देश भी शहरीजीवन में कुछ अक्लमंदी लाने में विफल रहे।
शीर्ष अदालत ने एक अहम आदेश दिया कि उसके द्वारा उच्च न्यायालय में भेजे गये सीलिंग अभियान से जुड़े मामलों को उसके पास वापस भेजा जाए क्योंकि पिछले चार सालों में उन पर उच्च न्यायालय में कोई सुनवाई नहीं हुई है। न्यायालय के निर्देश एक निजी कंपनी के आवेदन का निस्तारण करते हुए आया है। कंपनी ने अपनी एक संपत्ति छोड़े जाने की मांग की है जिसे 2007 में सील कर दिया गया था। संपत्ति का उपयोग वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए होता था।