दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार को शुक्रवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब केंद्र सरकार ने डीडीसीए मामलों की जांच के लिए आप सरकार की ओर से गठित जांच आयोग को ‘असंवैधानिक और अवैध’ घोषित कर दिया। इससे आप सरकार की भाजपा के केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को घेरने की कोशिशें फिलहाल धरी रह गई हैं। उधर, आम आदमी के प्रवक्ता आशुतोष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को ‘बचा’ रही है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि क्रिकेट संस्था में जेटली के कार्यकाल के दौरान की उनकी ‘भूमिका’ का पर्दाफाश न हो सके। केंद्र के इस फैसले से दोनों सरकारों के बीच जारी विवाद के और गहराने की आशंका बढ़ गई है।
डीडीसीए मामले को लेकर दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया था और मामले की जांच के लिए एक आयोग बनाने का प्रस्ताव भी पारित किया था। इससे पहले आयोग अपनी जांच शुरू करता, दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय ने गुरुवार को एक चिट्ठी जारी कर भारत सरकार के गृह मंत्रालय के हवाले से बताया कि दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की तरफ से जारी अधिसूचना असंवैधानिक और गैरकानूनी है। लिहाजा इसकी कोई कानूनी वैधता नहीं रह जाती।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की ओर से दिल्ली सचिवालय पर एक महीने पहले छापेमारी के बाद अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आप सरकार और केंद्र के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया था। इसी दरम्यान दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) मामलों की जांच के दिल्ली सरकार के फैसले को नामंजूर किया गया है।
छापेमारी के बाद दोनों सरकारों के बीच तकरार शुरू हो गई थी। केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि छापेमारी का मकसद उन दस्तावेजों को जब्त करना था जिसमें डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार का ब्योरा दर्ज था। उन्होंने कहा कि ये दस्तावेज कथित तौर पर उस दौरान के थे जब वित्त मंत्री अरुण जेटली डीडीसीए के प्रमुख थे। केजरीवाल ने इसके बाद पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित करने का फैसला किया। तब सुब्रमण्यम ने कहा था कि दिल्ली सरकार को इस तरह के जांच आयोग के गठन का अधिकार है।
उधर, केंद्र सरकार ने बुधवार को एक पत्र लिखकर कहा कि दिल्ली सरकार जांच आयोग कानून, 1952 के आलोक में दिल्ली सरकार को इस अधिनियम के तहत जांच आयोग गठित करने का कोई अधिकार नहीं है। उपराज्यपाल की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मंत्री परिषद (दिल्ली सरकार) को इस आशय की जानकारी दी जाए और सभी संबंधित लोगों को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के इस फैसले के अनुरूप कार्रवाई करने की सलाह दी जाए। आप सरकार ने 22 दिसंबर को डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए एक जांच आयोग गठित करने की अधिसूचना जारी की थी।
उधर, आप ने दावा किया कि केंद्र सरकार डीडीसीए घोटाले की जांच के लिए दिल्ली सरकार की ओर से गठित किए गए जांच आयोग को गैरकानूनी करार देकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को ‘बचा’ रही है। ‘आप’ के प्रवक्ता आशुतोष ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भाजपा सरकार के इस कदम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि डीडीसीए घोटाले में उनकी भूमिका का पर्दाफाश न हो। पर इसके बावजूद वे जेटली को बचा नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र का कदम ‘कानूनी तौर पर गलत’ है क्योंकि जब दिल्ली सरकार ने सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच के लिए जांच आयोग का गठन किया था तो अदालत ने जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और सिर्फ इतना कहा था कि कोई दवाब वाला कदम न उठाया जाए। उसने जांच आयोग को रद्द नहीं किया। केंद्र का कदम यह भी साफ करता है कि उनके मन में न्यायपालिका के लिए कोई सम्मान नहीं है।
आशुतोष ने कहा कि यह साबित हो चुका है कि मोदी सरकार की मंशा डीडीसीए में हुई अनियमितताओं की जांच करने की नहीं है और केंद्र का कदम कानूनी और राजनीतिक तौर पर गलत है। केंद्र की ओर से दिल्ली सरकार को भेजा गया पत्र एक तरह का प्रेम पत्र है, जिसकी उन्हें आदत पड़ चुकी है।
‘आप’ जेटली पर आरोप लगाती रही है कि डीडीसीए अध्यक्ष के तौर पर उनके कार्यकाल में संस्था में अनियमितताएं हुईं जबकि वित्त मंत्री इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं। उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और ‘आप’ के पांच अन्य नेताओं पर शहर की एक अदालत में आपराधिक और दीवानी मानहानि के मुकदमे दर्ज कराए हैं। डीडीसीए मामले में जेटली को निशाने पर लेने वाले भाजपा सांसद कीर्ति आजाद को पार्टी ने निलंबित कर दिया है।
आशुतोष ने कहा कि केंद्र सरकार जेटली को बचा नहीं पाएगी। सच सामने आएगा। गोपाल सुब्रमण्यम ने पेशकश की थी कि सुनवाई टीवी पर सार्वजनिक तौर पर दिखाई जाएगी। इसलिए वे भाग क्यों रहे हैं? उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार इस मामले में भविष्य के कदम पर विचार करेगी।
केजरीवाल बोले, केंद्र की राय दिल्ली सरकार पर बाध्यकारी नहीं
कोलकाता में मौजूद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा, ‘दिल्ली सरकार द्वारा गठित डीडीसीए जांच आयोग कानून और संविधान के अनुसार है। केंद्र की राय दिल्ली सरकार पर बाध्यकारी नहीं है। आयोग अपना काम जारी रखेगा। अगर एलजी या गृह मंत्रालय या पीएमओ असंतुष्ट है तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सिर्फ अदालत का आदेश आयोग के काम को रोक सकता है’।