यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यूपी में महिला अपराध से जुड़े एक दावे को महिला पत्रकार ईशा बाजपेई (@ishabajpai) ने गलत बताया है। महिला पत्रकार ने एनसीआरबी के डेटा का जिक्र करते हुए एक ट्वीट किया है। जिसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने महिला पत्रकार के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए योगी सरकार को घेरते हुए टिप्पणी की है। दिग्विजय सिंह ने रिट्वीट करते हुए लिखा- ‘ संगत का बुरा असर होता है, झूठो के साथ रहते हुए बाबा भी झूठ बोलने लगे। कलियुग है।’

बता दें, 4 अक्टूबर को सीएम योगी आदित्यनाथ के ट्वीटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया था। जिसमें कहा गया है कि एनसीआरबी की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों में प्रदेश में सजा का प्रतिशत 55.2% है, जो देश में सर्वाधिक है। ट्वीट में आगे लिखा है कि उत्तर प्रदेश में महिला संबंधी अपराधों में वर्ष 2019 में 8,059 मामलों में दोषसिद्ध हुई है, जो देश में सर्वाधिक है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश (यूपी) की अदालतों ने 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 8,059 मामलों को दोषी ठहराया है। जबकि यह एक राज्य में भारत में दोषी ठहराए गए मामलों की सबसे अधिक संख्या है, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में इसकी सजा दर – 55.2% – देश में पांचवें स्थान पर है। एनसीआरबी की रिपोर्ट से पता चलता है कि इसके ऊपर के चार राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों – पुडुचेरी, मिजोरम, मणिपुर और मेघालय में यूपी की तुलना में बहुत कम अदालती सजा और छोटे आधार हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 के मुकाबले 2020 में अपराध का ग्राफ नीचे आया है। 2020 में जब देश में संपूर्ण लॉकडाउन था, तब देश में अपराध कम हुआ था।

रिपोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के साथ-साथ चोरी, सेंधमारी और डकैती के तहत दर्ज मामलों में गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में क्राइम रेट में गिरावट दर्ज की गई है। जहां बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं, वहीं यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध में गिरावट दर्ज की गई है।