मामला कोविड मरीजों को पैसे लेकर अस्पताल में बेड देने का था। बेंगलुरू के भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने इसे उठाया था लेकिन बुधवार को ऐसा कुछ हो गया कि मामले ने सांप्रदायिक मोड़ ले लिया। मामले में अब तक दो लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। यह मामला खास इसलिए हो गया था कि राज्य में भाजपा शासन के दौरान भाजपा सांसद ने घपले का आरोप लगाया था।
लेकिन मामला सांप्रदायिक तब हो गया जब तेजस्वी सूर्या एक कागज निकाल कर नाम पढ़ने लगे। सभी नाम मुस्लिम थे और ये सब कोविड फैसिलिटी के वॉर-रूम में काम कर रहे थे। इनके पास ही मरीजों को बेड अलॉट करने का जिम्मा था।
सूर्या ने दावा कर रखा था कि बेड किसी और नाम पर अलॉट थे और वे दे दिए गए थे किसी और को। पैसा लेकर। हुआ यह था कि सूर्या तीन विधायकों के साथ वॉररूम गए थे। वहां उन्होंने अधिकारियों को अपनी पड़ताल के बारे में बताने के बाद उनके साथ बहस करते रहे। बाद में वाइरल हुआ एक वीडियो में सूर्या एक कागज से नाम पढ़ते दिख रहे हैं। उनके पढ़े सभी 17 नाम मुस्लिम हैं।
सांसद इन लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया के बारे में सवाल पूछ ही रहे होते हैं कि एक आदमी एजेंसी से भर्ती हो की बात कहता है। इस पर साथ में खड़े भाजपा विधायक रवि सुब्रमण्य पूछते हैं एप्वाइंट कौन करता है—मदरसा या कारपोरेशन।
बात यह है कि इस वॉररूम में 206 लोग कॉलसेंटर की तरह काम करते हुए जरूरतमंदों को बेड मुहैया कराते हैं। लेकिन सूर्या ने जो नाम लिए वे सब मुस्लिम थे। कर्नाटक कांग्रेस ने पूछा है कि घोटाले के लिए मुख्यमंत्री और एमपी एमएलए क्यों नहीं दोषी। सिर्फ ये 17 लोग ही दोषी क्यों। इस बीच मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।

