भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर का असर शहर के बाद गांवों में भी कहर बरपा रहा है। बीते कुछ दिनों में श्मशान घाट के भरने के बाद अब गंगा नदी में मृतकों के शवों को बहाने के कुछ मामले सामने आए हैं। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के ही उन्नाव से आया है। यहां गंगा किनारे शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। कई जगहों पर तो अंतिम संस्कार का इंतजाम नहीं हो पाने की वजह से कई लोगों को गंगा के पास ही दफना दे रहे हैं।
बताया गया है कि उन्नाव के रौतापुर गंगा घाट में लकड़ियों के महंगे होने की वजह से लोगों ने रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार करने के बजाय शव सीधे दफनाने शुरू कर दिए। रौतापुर घाट में पिछले 20 दिनों में यहां शव दफनाए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले कुछ दिनों में यहां 300 से ज्यादा अंतिम संस्कार हो चुके हैं। हर दिन 10 से 12 शव गंगा किनारे रेती में दफना दिए जा रहे हैं।
अफसर बोले- इलाके की निगरानी करेंगे: उन्नाव के डीएम ने इस मामले में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि दफनाए गए लोगों की मौत की वजह कोरोना से होना तय नहीं है। तीन जनपद के लोग वहां शव जलाने पहुंचते हैं। कुछ लोग ऐसे हैं, जो शव को गंगा किनारे दबा देते हैं। यह सूचना मिलने पर एसडीएम और पुलिस क्षेत्राधिकारी को निगरानी पर लगाया गया है। उन्होंने यही देखा है कि किनारे की तरफ खुले में शव नहीं आए हैं। लेकिन उन्हें अन्य जगहों पर जांच करने के लिए कहा गया है। जो भी स्थिति होगी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहना है ग्रामीणों का?: रौतापुर के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि लकड़ियां महंगी होने के कारण अब शव दफनाए जा रहे हैं। दरअसल, क्रियाकर्म में 8 से 10 हजार रुपए का खर्च आता है। इसलिए लोग शवों को दफनाने के लिए मजबूर हैं। पिछले 20 दिनों से लगातार शव दफनाने की वजह से यहां आगे किसी शव के लिए जगह तक नहीं बची है।