बिहार में एक महीने में कोरोना मरीजों की संख्या पांच गुना बढ़ गई है। इसके बावजूद सरकार ऐसा दिखा रही है कि अभी हालात सामान्य ही हैं। लॉकडाउन में लगातार ढील बढ़ाई जा रही है। क्वारैंटाइन सेंटर्स बंद करने का फैसला किया जा चुका है। बाहर से बिहार पहुंचने वाले यात्री सामान्य दिनों की तरह स्टेशन या हवाईअड्डे से सीधे घर जा सकेंगे। जांच की रफ्तार भी धीमी है। इसी बीच चुनावी सरगर्मी भी शुरू हो रही है। 7 जून को अमित शाह की वर्चुअल रैली को एनडीए के चुनाव प्रचार का श्रीगणेश माना जा रहा है।
8 मई से 7 जून के बीच पांच गुना कोविड के मामले: 8 मई (सुबह 10 बजे तक) को बिहार में कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या 556 बताई गई थी। 7 जून, सुबह आठ बजे के आंकड़े के मुताबिक 24 घंटे में 319 नए मामलों के साथ कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 4915 पर पहुंचा है। मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 30 है। 2460 लोग अभी सक्रमित हैं, 2425 ठीक हो गए हैं।
12 घंटे पहले, यानी 6 जून की शाम को जो आंकड़ा दिया गया था, उसमें सक्रिय मामलों की संख्या 2503 और कुल आंकड़ा 4831 बताया गया था।
आज सुबह 8 बजे तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में #कोरोनावायरस की अद्यतन स्थिति।#अनलॉक1 pic.twitter.com/cHzGaYkkth
— PIB In Bihar (@PIB_Patna) June 7, 2020
ज्यादातर जिलों में मामले: बिहार में अनेक राज्यों से 10 लाख से भी ज्यादा प्रवासी मजदूर लौटे हैं। सरकार ने बताया कि 6 जून तक 3454 प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। राज्य के ज़्यादातर जिले व्यरस की चपेट में आ चुके हैं। 6 जून को भी 21 जिलों से कोरोना वायरस के नए मामले सामने आए।
सीएम नीतीश कुमार का ऑर्डर ऐसे हुआ फेल: राज्य के स्वास्थ्य सचिव ने 6 जून को जो आंकड़ा दिया, उसके मुताबिक कुल 95,473 सैंपल्स जांचे गए हैं। स्पष्ट कर दें कि यह संख्या सैंपल्स की है, व्यक्तियों की नहीं। एक ही व्यक्ति के सैंपल कई बार भी जांचे जाते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 12 मई, 2020 को आदेश दिया था कि रोज 1900-2000 के बजाय 10 हजार सैंपल्स जांचे जाएं। नीतीश के ऑर्डर के हिसाब से 13 मई से 6 जून के 25 दिनों में ही ढाई लाख टेस्ट हो जाने चाहिए थे, पर 13 मई के पहले के आंकड़ों को शामिल करने के बाद भी यह संख्या एक लाख तक भी नहीं पहुंची है।
बिहार में 23 अप्रैल से 7 मई तक केवल 17588 टेस्ट हुए थे, जबकि इस बीच कोराना संक्रमण के मामलों में तेजी आ रही थी। इस अवधि के आखिरी चार दिनों में तो रोज केवल 600 के करीब नमूने ही जांचे जा रहे थे।
#CoronaUpdateBihar
आज शाम 4 बजे तक की स्थिति।
4745 कुल पॉज़िटिव मामले
✔️2298 मरीज स्वस्थ हुए
❌29 मौतें
2418 कुल सक्रिय मामले
✔️95,473 नमूनों का परीक्षण किया गया अब तक pic.twitter.com/Gi6xG9f2Ds— PIB In Bihar Mask yourself (@PIB_Patna) June 6, 2020
सुविधा की कमी: 12 करोड़ की आबादी वाले बिहार में नीतीश कुमार ने 12 मई को रोज 10 हजार नमूनों की जांच का आदेश दिया था। लेकिन, इसके लिए इंतजाम करने में बिहार सरकार आज भी कामयाब नहीं हो पाई है। हालत यह है कि नीतीश के आदेश के दो दिन पहले ही भागलपुर स्थित Jawahar Lal Nehru Medical College and Hospital (JLNMCH) में किट खत्म हो जाने के चलते जांच रोकनी पड़ी थी।
12 मई के आंकड़ों के मुताबिक बिहार सरकार के स्टॉक में 38,550 वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम किट्स (VTMs) उपलब्ध थे। इस किट का इस्तेमाल नमूना एकत्र करने में होता है। 20,250 आरएनए एक्स्ट्रैक्शन किट, 959 इन्फ्रारेड थर्मामीटर, 171,451 PPE किट स्टॉक में होने की बात बताई गई थी।
बिहार में आधा दर्जन सेे ज्यादा सरकारी अस्पतालोंं में कोरोना की जांच और इलाज की व्यवस्था है। इन्हीं में से एक, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के अधीक्षक डॉ. आर.सी. मंडल से हमने बात की। यह पूर्वी बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है।
अधीक्षक डॉ. आर.सी. मंडल ने बताया कि 10 मई के बाद करीब एक सप्ताह किट के अभाव में हमारे यहां जांच बंद रही थी। अब चल रही है। अस्पताल में दो तरह की जांच मशीन है- सीवीनेट और ट्रूनेट। सीवीनेट के जरिए पहले टीबी की जांच होती थी। इसे कस्टमाइज करके अब कोराना की जांच के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
जेएलएनएमसीएच में रोज कम से कम 100 टेस्ट का टारगेट है। इनमें से 60 सीवीनेट और 40 ट्रूनेट मशीन के जरिए होता है। किसी-किसी दिन सौ से ज्यादा टेस्ट भी किए जाते हैं। 15 दिन में एक और मशीन मिलने की उम्मीद है, तब जांच की क्षमता तीन गुना तक बढ़ सकती है।
तैयारी: डॉ. मंडल के मुताबिक जेएलएनएमसीएच में 34 बेड वाला आईसीयू तैयार है और 30 बेड का एक आईसीयू तैयार किया जा रहा है। 12 वेंटीलेटर्स भी होने की बात वह बता रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक एक भी मरीज ऐसा नहीं है, जिसे आईसीयू या वेटीलेटर पर रखने की जरूरत पड़ी हो।
इस बारे में हमने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से भी बातचीत करने की कोशिश की। उनके सेक्रेटरी ने ‘कॉल बैक’ का आश्वासन दिया। अगर वह मंत्री से बात करवाते हैं तो उनका पक्ष भी यहां शामिल किया जाएगा।