उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर गुरगुट्टा गाँव में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के परिसर में एक शटर के पीछे से आवाज़ आती है। अपने खेतों से लौटने वाले किसान मुश्किल से अपना सिर उठाकर उस तरफ देखते हैं। शटर जिसमें एक बड़ा सा ताला लगा है उसके पीछे से चीखते हुए लोगों पर सभी का ध्यान जाता है। वे बार-बार बाहर बैठे एक कांस्टेबल से पूछ रहे हैं “हम अपने घर कब जाएंगे?”

पिछले हफ्ते बड़े शहरों से घर लौटने की कोशिश कर रहे प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश में कई जगह इसी तरह रखा गया है। इस क्वारंटीन सेंटर में 186 लोग बंद हैं। यहां प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार के लोग शामिल है जिसमें 55 महिलाएं, 29 बच्चे और एक शिशु है। इन लोगों को “रिलीज़” करने की अनौपचारिक तारीख 14 अप्रैल है। अभी लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

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नीरज कुमार को यहां से लगभग 20 किमी दूर नेपाल की सीमा से पुलिस द्वारा लाया गया है। कुमार शटर ग्रिल को ज़ोर से खींचता हुए पुलिस से पूछ रहे हैं कि सरकार हमसे अपराधियों की तरह क्यों व्यवहार कर रही है?

29 वर्षीय का कहना है कि उसकी पत्नी यहां से 150 किलोमीटर दूर अयोध्या में है। उसके पास पैसे खत्म हो गए और वह तीन बच्चों को पाल रही है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद उसे डर है कि उसे अयोध्या तक चलकर जाना होगा। कुमार ने कहा “जब मेरे पास पैसे नहीं होंगे तो मैं और कैसे जाऊंगा?”

एक अधिकारी का कहना है किक्वारंटीन सेंटर रहने वाले कई लोग नेपाल से लौट रहे थे। सीमा पास होने कि वजह से क्षेत्र के बहुत से पुरुष काम के लिए बार्डर पार करते हैं।

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