कोरोना वायरस के चलते हर छेत्र में नुकसान हो रहा है। ऐसे में रमजान की रौनक भी फीकी रहेगी जिसके चलते हैदराबाद के भोजनालय और रेसोरेन्ट्स को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। हैदराबाद में रमजान का मतलब होता है हलीम और बिरयानी की दावतों। रमजान के महीने में यहां हलीम और बिरयानी की जमकर बिक्री होती है लेकिन कोरोना संकट के चलते इस साल ऐसा नहीं होगा। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के कारण हैदराबाद में इस साल न बिरयानी मिलेगी ना ही हलीम बिकेगा जिसके चलते यहां के लोगों को हज़ार करोड़ के ऊपर का नुकसान होगा।
हलीम उद्योग रमजान के दौरान सैकड़ों करोड़ की बिक्री करता है। हैदराबाद में उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस बार कोरोनोवायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा। यह पिछले 50 वर्षों में संभवत: पहली बार है जब हैदराबाद में भोजनालय रमजान के दौरान हलीम नहीं बेचेंगे।
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हैदराबाद हलीम मेकर्स एसोसिएशन (एचएचएमए) और ट्विन सिटीज़ होटल ओनर्स एसोसिएशन ने फैसला किया है कि वे इस साल इसकी तैयारी नहीं करेंगे। संघों का कहना है कि लॉकडाउन ने पहले ही शहर के बिरयानी कारोबार को प्रभावित कर दिया है, जिसका मासिक कारोबार लगभग 1,000 करोड़ रुपये है। वे कहते हैं कि अकेले हलीम विक्रेता रमजान के दौरान लगभग 500 करोड़ रुपये की बिक्री करते थे। हैदराबाद में, रमजान के दौरान लगभग 6,000 रेसोरेन्ट और भोजनालय हलीम बनाते और बेचते हैं।
प्रसिद्ध पिस्ता हाउस के मालिक एमए मजीद, जो एचएचएमए के अध्यक्ष भी हैं, को उम्मीद है कि यह कठिन अवधि जल्द ही समाप्त हो जाएगी। उनका पिस्ता हाउस हलीम के लिए जीआई टैग का मालिक है और भारत के अन्य हिस्सों में वितरण के साथ-साथ अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशिया को हैदराबादी हलीम का निर्यात करता है।
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