Kartikeya Singh: बिहार में नीतीश कुमार की कैबिनेट का विस्तार 16 अगस्त को हुआ। इस दौरान, 31 विधायकों ने मंत्रिपद की शपथ ली। इस गठबंधन में शपथ लेने वाले विधायकों में सबसे ज्यादा आरजेडी के 16 विधायक थे। मंत्रीपद की शपथ लेने वालों में कार्तिकेय सिंह भी हैं, जो कानून मंत्री बने हैं लेकिन इसको लेकर विवाद बढ़ता दिखाई देने लगा है।

राजद एमएलसी कार्तिकेय सिंह को अपहरण के एक मामले में 16 अगस्त को दानापुर अदालत में आत्मसमर्पण करना था लेकिन वह बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में नए मंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए पटना के राजभवन पहुंच गए थे।

2014 में पटना के बिहटा पुलिस स्टेशन में कार्तिकेय सिंह और 17 अन्य के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया गया था। कार्तिकेय सिंह पर हत्या के इरादे से एक बिल्डर को अगवा करने की साजिश का आरोप है। इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल की गई थी, जिसके बाद 14 जुलाई 2022 को कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया गया और उन्हें 16 अगस्त 2022 को सरेंडर करना था लेकिन कोर्ट में सरेंडर करने की बजाय शपथ लेने के लिए राजभवन पहुंच गए।

कौन हैं कार्तिकेय सिंह?

कार्तिकेय सिंह राजद के एमएलसी हैं, उन्हें नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में राजद कोटे से जगह मिली थी। मोकामा के रहने वाले कार्तिकेय सिंह राजनीति में रहने के साथ-साथ पेशे से शिक्षक भी थे। बिहार कैबिनेट में कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री का जिम्मा सौंपा गया है। कार्तिकेय पर आईपीसी की कई धाराओं जैसे 363 (अपहरण), 364 (हत्या के इरादे से अपहरण), 365, और 34 (घटना एक से अधिक लोगों द्वारा की गई थी) के तहत आरोप लगाए गए हैं। इससे पहले 16 फरवरी 2017 को पटना हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कार्तिकेय सिंह को अनंत सिंह का बेहद करीबी माना जाता है। दोनों ही नेता मोकामा के रहने वाले हैं। हालांकि, अपने खिलाफ दर्ज मामलों के कारण कार्तिकेय सिंह की चर्चा जोरों पर है।