राजस्थान (Rajasthan) के सभी 81 विधायक जिन्होंने सितंबर में विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था, वे अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए स्पीकर सीपी जोशी (Speaker C P Joshi) के सामने पेश हुए। सभी विधायकों ने कहा कि उनके इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे। राजस्थान उच्च न्यायालय में विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा (Assembly Secretary Mahaveer Prasad Sharma) ने हलफनामा दायर किया गया, जिसमे ये बताया गया।
सभी 81 विधायक विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश हुए
स्पीकर सीपी जोशी ने 13 जनवरी को इस्तीफा खारिज कर दिया था। जोशी ने कहा कि सभी 81 विधायक एक-एक करके मेरे सामने पेश हुए और स्वेच्छा से (प्रार्थना पत्र जमा किया पत्र) इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया। अपने प्रार्थना पत्रों में उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि पहले दिए गए त्याग पत्र स्वैच्छिक नहीं थे।
विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौर (Deputy Leader of Opposition Rajendra Rathore) द्वारा दायर याचिका के जवाब में महावीर शर्मा ने कहा कि मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, मंत्री शांति धारीवाल, रामलाल जाट, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा और विधायक रफीक खान द्वारा सीपी जोशी को इस्तीफा पत्र प्रस्तुत किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति शुभा मेहता की पीठ के समक्ष पेश हुए उत्तर में कहा गया है कि यह तर्क देना गलत है कि इस मामले में इस्तीफे स्वेच्छा से प्रस्तुत किए गए थे।” इसमें कहा गया, “रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे पता चलता हो कि उन छह विधायकों ने भी माननीय अध्यक्ष को सूचित किया था कि इस्तीफे के पत्र स्वैच्छिक और वास्तविक थे।”
महावीर शर्मा ने यह भी कहा, “माननीय अध्यक्ष द्वारा यह भी दर्ज किया गया था कि परिस्थितियों में से प्रत्येक सदस्य अपना इस्तीफा अलग से प्रस्तुत नहीं कर रहा है। छह सदस्यों ने 81 इस्तीफे पत्र जमा किए हैं, जिसमें पांच फोटोकॉपी शामिल हैं।” बता दें कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं।
81 में से 70 विधायक कांग्रेस से थे
सूची के अनुसार 81 में से 70 विधायक कांग्रेस से थे जबकि नौ निर्दलीय थे एक विधायक राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) से थे और एक भाजपा से निष्कासित विधायक थे। रालोद के सुभाष गर्ग गहलोत सरकार में मंत्री हैं। वहीं भाजपा की शोभरानी कुशवाहा को पिछले साल राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) के दौरान उनके ‘विद्रोह’ के बाद पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद तिवारी (Congress candidate Pramod Tiwari) के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी।