नए परिसीमन की लटकी तलवार से इस बार के निगम चुनाव टलेंगे। केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 में किए हुए प्रावधानों के लागू होने के बाद दिल्ली में एक बार फिर से निगम वार्डों का परिसीमन जरूरी होगा। इसकी वजह 272 सीट वाले निगम की संख्या को घटाकर 250 तक सीमित किया जाना है। इस प्रक्रिया में आयोग को परिसीमन के प्रावधानों का पालन करना होगा और इससे एक लंबा समय लगेगा।

सूत्र संभावना जता रहे हैं कि इस प्रक्रिया को पूर्ण करने में ही यह साल निकल जाएगा। आयोग को अधिकतम 250 सीट करने के लिए 22 सीट कम करनी होगी। हालांकि दावा यह भी किया जा रहा है कि निगम चुनाव की आखिरी समय सीमा पूर्ण होने से पूर्व एक निगम का कच्चा प्रारूप तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद इस कच्चे प्रारूप पर सीट का दायरा और मतदाताओं की संख्या को कम करने की प्रक्रिया पर काम होगा।

जानकार बताते हैं कि निगम को एक करने के लिए आयोग को नए सिरे से अनुसूचित जाति के आधार पर सीट आरक्षण और महिला आरक्षित सीटों के लिए भी फार्मूला तैयार करना होगा। इसके बाद भी आगे की चुनाव प्रक्रिया को शुरू किया जा सकेगा। निगम को तीन टुकड़ों से बांटने से 2007 में दिल्ली में निगम वार्डों की संख्या 134 होती थी। इस स्थिति में कई निगम वार्ड का क्षेत्र अधिक बड़ा था और निगम वार्ड की संख्या 272 हो गई थी। इन निगमों के एक होने के बाद वित्तीय हालत में सुधार ही केंद्र सरकार की सबसे बड़ी चुनौती होगी।

खराब वित्तीय हालात से कर्ज में निगम
वर्ष 2012 में जब निगमों का बंटवारा किया गया था, तो निगमों ने अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए एकमुश्त आर्थिक सहायता की मांग की थी। राज्य सरकार ने इस राशि को उपलब्ध जरूर कराया था लेकिन यह राशि अनुदान के तौर पर नहीं दी गई थी। इन साल में निगम यह भुगतान तक नहीं कर पाए हैं। इसके अतिरिक्त दो हजार करोड़ से अधिक कर्ज भी इन निकायों को दिया गया था। इस पर आज भी निगमों की देनदारी बनी हुई है। जबकि निगमों के पास पैसा नहीं होने की वजह से उनके कर्मचारियों को हड़ताल तक करनी पड़ी है।

ये होंगे जरूरी प्रावधान
नियुक्त किया जाएगा प्रशासक : निगम चुनाव की प्रक्रिया यदि समय पर पूर्ण नहीं होती है। उस स्थिति में निगम की चुनी हुई सरकार की जगह पर प्रशासक काम करेगा। इसका प्रावधान नए कानून में किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस प्रावधान से केंद्र सरकार निगम की सेवाओ को बाधित होने से रोक पाएगी।

नए कानून से रास्ते होंगे साफ
सभी अधिकार व देनदारियां एक निगम के अधिकार में होंगे।
अलग-अलग निगमों के कानून मामले भी संयुक्त निगम पर लागू होंगे।
कोई भी तकनीकी दिक्कत होगी तो उसके लिए केंद्र सरकार अधिसूचना जारी करेगी।