उत्तराखंड में मिशन 2022 की मुहिम कांग्रेस के पहले पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता हरीश रावत ने हरिद्वार के उपनगर कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना और मां आनंदमई आश्रम में आनंदमई मां की समाधि में मत्था टेककर की। 1981 के बाद कांग्रेस का कोई बड़ा नेता मां आनंदमई आश्रम में आया। हरीश रावत का कहना है कि मां आनंदमई के आशीर्वाद और दक्षेश्वर महादेव की कृपा से कांग्रेस फिर से उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से सत्ता में लौटेगी।

उन्होंने कहा कि मां आनंदमई हमारी प्रिय नेता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आध्यात्मिक गुरु थीं। आनंदमई आश्रम इंदिरा गांधी की आस्था और श्रद्धा का केंद्र रहा है। जल्दी ही यहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को आमंत्रित किया जाएगा। क्योंकि गांधी परिवार के हर सुख-दुख में आनंदमई मां और आश्रम उनके साथ खड़ा रहा है और उन्हें आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता रहा है। इस तरह हरीश रावत ने मां आनंदमई आश्रम और दक्षेश्वर महादेव मंदिर में मत्था टेक कर हिंदू कार्ड खेला है। रावत ने कहा कि कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जिसने सनातन धर्म की रक्षा की और सनातन धर्म के मूल्यों को संरक्षित किया है। साथ ही तीर्थ पुरोहितों के अधिकारों का हमेशा संरक्षण और संवर्धन किया जबकि भाजपा की राज्य सरकार ने उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहित और तीर्थ स्थानों का अपमान किया है।

भाजपा सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन करके उत्तराखंड के चार धामों और कई मंदिरों का सरकारीकरण कर दिया है और तीर्थ पुरोहितों के अधिकारों और उनके हक हकूक पर डाका डाला है। तीर्थ पुरोहित इस देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन पूरे राज्य में एक साल से छेड़े हुए हैं परंतु उनकी सुनवाई न केंद्र सरकार कर रही है न ही राज्य सरकार। सत्ता में आने पर कांग्रेस देवस्थानम बोर्ड को करेगी भंग रावत का कहना है कि मंदिरों में पूजा करने वाले तीर्थपुरोहित आज अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरे हुए हैं।

इससे ज्यादा दुर्भाग्य की स्थिति राज्य के लिए क्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि 2022 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर 24 घंटे के भीतर देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया जाएगा। इस तरह पूरे राज्य में भाजपा के खिलाफ 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हिंदू कार्ड के रूप में देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा हाथ लग गया है जिस पर कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ पूरे राज्य में पंडे पुरोहितों में माहौल बना दिया है। साथ ही कांग्रेस ने देवभूमि उत्तराखंड को पूरे विश्व का आध्यात्मिक केंद्र घोषित करते हुए कहा कि उत्तराखंड के सभी मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में 40 से 45 फीसद ब्राह्मणों की आबादी है। यह मतदाता भाजपा से देवस्थानम बोर्ड को लेकर बेहद खफा है और आंदोलनरत है।

इंदिरा गांधी की श्रद्धा और आस्था का केंद्र मां आनंदमई आश्रम
मां आनंदमई आश्रम देश की दिग्गज नेता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आस्था और श्रद्धा का केंद्र था वैसे तो इंदिरा गांधी की मां कमला नेहरू भी अक्सर आनंदमई मां के अल्मोड़ा और दिल्ली आश्रम में आती थीं और पंडित नेहरू भी उनके साथ इस आश्रम में आते थे परंतु इंदिरा गांधी का मां आनंदमई मां के प्रति अत्यधिक समर्पण और श्रद्धा भाव था इसलिए इंदिरा गांधी मां आनंदमई मां से मिलने यहां अक्सर आया करती थी और उनसे आशीर्वाद लेकर ही राजनीतिक अभियान पर निकला करती थीं। आनंदमई मां इंदिरा गांधी की आध्यात्मिक गुरु थीं। 1977 में लोकसभा चुनाव में हारने के बाद संजय गांधी और मेनका गांधी के साथ हरिद्वार के कनखल स्थित आनंदमई आश्रम में आई थीं।