कांग्रेस का अनुसूचित जाति विभाग वर्ष 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राज्य में गांव स्तर पर ‘संविधान पर चर्चा’ कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी में है।
कांग्रेस की कोशिश ऐसा करके बहुजन मतदाताओं तक सीधी पहुंच बनाने की है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2027 के फरवरी-मार्च में होने हैं।
48 सीटें मिया मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षित करने की मांग
कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि इस कार्यक्रम के दौरान संविधान में निहित बहुजन समाज के अधिकारों, भाजपा की केंद्र एवं राज्यों की सरकारों द्वारा संविधान एवं आरक्षण के साथ किए जा रहे खिलवाड़ तथा कांग्रेस की सरकारों में किए गए बहुजन हितैषी कदमों पर चर्चा की जाएगी।
गौतम ने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने पूरे देश में 26 नवंबर से ‘संविधान पर चर्चा की शुरुआत की है और इसका मुख्य जोर उत्तर प्रदेश पर है। अब हम इसे निचले स्तर तक ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। यह प्रयास जारी रहेगा।”
गौतम ने कहा कि जब तक उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव आएगा तब तक गांव स्तर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा ताकि बहुजन समाज तक सीधे पहुंचा जा सके।
कांग्रेस के एससी विभाग के प्रमुख के मुताबिक, वर्तमान सरकार की नीतियों की सबसे ज्यादा मार दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों पर पड़ी है। यह पूछे जाने पर कि क्या इस प्रयास का मकसद बहुजन समाज पार्टी के सिमटते जनाधार को देखते हुए दलित समाज के मतों में सेंध लगाना है, तो गौतम ने कहा, ‘‘जनता किसी की गुलाम नहीं है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कांशीराम जी नेतृत्व में जो बहुजन आंदोलन शुरू हुआ था, उसका सभी सम्मान करते हैं, लेकिन आज इस आंदोलन को जिस दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया गया है, उसमें बहुजन समाज इस बात को लेकर चिंतित है कि अब क्या किया जाए।’’
बसपा की सक्रियता को लेकर सवाल
गौतम ने दावा किया, ‘‘ जब चुनाव आता है तभी बसपा सक्रिय नजर आती है। सवाल यह है कि यह सक्रिय होती है या की जाती है? यह समाज को समझना पड़ेगा। पार्टियों को तो हमेशा सक्रिय रहना चाहिए।’’
गौतम ने कहा, ‘‘आज पूरे बहुजन समाज के मुद्दे राहुल गांधी उठा रहे हैं। इसी कारण अब बहुजन समाज कांग्रेस की ओर रुख कर रहा है।’’
लोकसभा चुनाव 2024 में मिली थी कामयाबी
लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन को कामयाबी मिली थी। बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 29 लोकसभा सीटों का नुकसान हुआ था और वह 2019 में मिली 62 सीटों के मुकाबले सिर्फ 33 सीटें ही जीत सकी थी। सपा को 37 जबकि कांग्रेस को 6 सीटें मिली थी। लोकसभा चुनाव के नतीजों से सपा और कांग्रेस दोनों ही उत्साहित हैं और मजबूती से चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही हैं।
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